जम्मू। कश्मीर के टूरिज्म की यह बदकिस्मती कही जा सकती है कि वह पिछले कई सालों से खुशी के साथ वर्ल्ड टूरिज्म डे इसलिए नहीं मना पाया है क्योंकि आतंकवाद के कारण हमेशा ही टूरिज्म की कमर टूटी है और अब बची-खुची कसर पहले वर्ष 2019 में 5 अगस्त को लागू लॉकडाउन ने पूरी कर दी थी और अब कोरोना की दूसरी लहर ने।
2 लाख लोग प्रभावित : कश्मीर के टूरिज्म सेक्टर को सबसे बड़ा नुक्सान 5 अगस्त 2019 से ही उठाना पड़ा है। इस सेक्टर से जुड़े लोगों के मुताबिक, अब तो गणना भी मुश्किल हो गई है कि 22 महीनों के दौरान कितना नुक्सान हुआ है और कितने लोग बेरोजगार हुए हैं। एक अनुमान कहता है कि टूरिज्म सेक्टर से सीधे जुड़े 2 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। करीब 40 से 50 हजार करोड़ का नुकसान सिर्फ टूरिज्म सेक्टर को ही उठाना पड़ा है।
यह नुक्सान कितना है अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 6 महीने की अवधि के बाद जब गुलमर्ग स्थित गंडोला को वर्ल्ड टूरिज्म डे पर खोला गया तो मात्र 36 टूरिस्ट बाहर से आए हुए थे। ऐसी ही दशा होटलवालों, शिकारे वालों तथा अन्य उन लोगों की है जिनकी रोजी-रोटी का एकमात्र साधन पर्यटक ही हैं।
ऐसा भी नहीं है कि प्रदेश में पर्यटकों के प्रवेश पर रोक लगाई गई हो बल्कि कश्मीर में टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के मुताबिक, फिलहाल अगले कई महीनों तक टूरिस्टों की शक्ल देखना संभव नहीं होगा क्योंकि कश्मीर में कोरोना कहर बरपा रहा है। इस कारण पहले ही अमरनाथ यात्रा टलने की स्थिति में है तो जम्मू संभाग में हर साल जुलाई-अगस्त में होने वाली करीब दो दर्जन धार्मिक यात्राओं पर पाबंदी की तलवार लटक रही है।
इन सबको भी पर्यटकों का इंतजार : डल झील के किनारे बैठे शिकारे वाले नजीर अहमद के अनुसार वह सीजन में प्रतिदिन हजार रुपए कमा लेता था, लेकिन अब कई महीनों से वह खाली बैठा है। नईम अख्तर नामक एक होटल व्यावसायी का कहना है कि हालांकि कोरोना की दूसरी लहर अब ढलान पर है पर यहां कोई नहीं आ रहा है क्योंकि प्रशासन ने अभी भी सख्त पाबंदियां लगाई हुई हैं।
सिर्फ 5 फीसदी बचा पर्यटन : एक अनुमान के अनुसार, सिर्फ कश्मीर में टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े दो लाख से अधिक लोग बेरोजगार हो चुके हैं। जम्मू संभाग का आंकड़ा फिलहाल उपलब्ध नहीं है। जम्मू संभाग में धार्मिक स्थलों से जुड़े करीब 50 हजार लोगों को रोजी रोजी का संकट मुंह बाए खड़ा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में पर्यटन सिर्फ 5 फीसदी रह गया है। इसमें वैष्णो देवी आने वाले श्रद्धालुओं को ही गिना जा रहा है।