नई दिल्ली। देश में आज से 800 से ज्यादा जीवन रक्षक दवाएं महंगी हो गई। दवाओं पर महंगाई की मार पड़ने से लोगों में भारी नाराजगी है। संसद में प्रश्नकाल के दौरान यह मुद्दा उठा। सांसदों ने कहा कि पहले से ही महंगाई की मार से त्रस्त आम जनता पर इससे भारी बोझ पड़ेगा। सदस्यों ने इस मूल्यवृद्धि को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि महंगाई के दर्द की दवा जरूरी हो गई है।
शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी ने भी राज्यसभा में मामला उठाया और कहा कि लगातार महंगाई बढ़ रही है और आम आदमी का जीना मुश्किल हो गया है। सरकार को आवश्यक दवाइयों की कीमतों में वृद्धि तुरंत खारिज करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इसमें कैंसर, डायबिटीज, बुखार, अस्थमा और अन्य बीमारियों की दवाइयों की कीमतों में वृद्धि शामिल है। कई अन्य सदस्यों ने भी इस मुद्दे का समर्थन किया।
माकपा नेता ब्रिट् ने कहा कि आम जनता पहले से महंगाई से जूझ रही है। ऐसे में सरकार ने 800 से अधिक आवश्यक दवाइयों की कीमतों में वृद्धि करने का फैसला किया है। यह वृद्धि 11 प्रतिशत तक है। आवश्यक दवाइयों की कीमतों में यह अब तक सबसे बड़ी वृद्धि है। उन्होंने कहा कि गरीब आदमी के लिए दवाइयों की कीमतों में वृद्धि होना एक बड़ा झटका है। सरकार को इसे तुरंत वापस लेना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने कहा है कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार कार्यालय द्वारा प्रदान किए गए थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में कैलेंडर वर्ष 2020 के मुकाबले वर्ष 2021 के दौरान 10.77 प्रतिशत की बढ़त हुई है।