नई दिल्ली। देश में थोक वस्तुओं के दाम में ऊंची वार्षिक वृद्धि के मद्देनजर सरकार ने औषधि कंपनियों को अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष में विभिन्न दवाइयों के दामों में 10 प्रतिशत से अधिक की छूट दे दी है।
राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने कहा है कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार कार्यालय द्वारा प्रदान किए गए थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में कैलेंडर वर्ष 2020 के मुकाबले वर्ष 2021 के दौरान 10.77 प्रतिशत की बढ़त हुई है।
थोक महंगाई दर को देखते हुए सरकार दवा उद्योग को दवाओं के दाम में संशोधन की छूट देती है। इससे अप्रैल से 800 से अधिक आवश्यक अनुसूचित दवाओं (मूल्य नियंत्रण में आने वाली आवश्यक दवाओं) के दाम 10 फीसदी तक बढ़ सकते हैं। यह पहली बार होगा जबकि मूल्य नियंत्रण व्यवस्था के तहत आने वाली दवाओं के दाम नियंत्रण से बाहर की दवाओं से अधिक बढ़ेंगे। हाल के वर्षों में यह सबसे ऊंची वृद्धि होगी।
एनपीपीए ने वर्ष 2019 में दवा निर्माताओं को 0.2 प्रतिशत और 2020 में 0.5 प्रतिशत मूल्यवृद्धि की मंजूरी दी थी। एनपीपीए आगामी कुछ दिनों में दवाओं के दामों में वृद्धि की अधिकतम सीमाओं की अधिसूचना जारी कर सकता है।
डब्ल्यूपीआई में इस बढ़ोतरी पर इंडियन ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के महासचिव दारा बी. पटेल ने कहा कि हाल के वर्षों में डब्ल्यूपी में 10.76 प्रतिशत की वृद्धि सबसे अधिक है। इब्ल्यूपीआई में उछाल को देखते हुए दवाओं के दाम में इस स्तर की बढ़ोतरी की अनुमति देना जायज है। इस समय लागत मूल्य लगातार बढ़ रहा है जिसके परिणामस्वरूप दवाई निर्माताओं के सामने अनेक चुनौतियां पैदा हुई हैं। उन्होंने कहा कि दवाई निर्माता चाहें तो कीमतों में वृद्धि को डब्ल्यूपीआई में वृद्धि (10.8 प्रतिशत) से कम भी रख सकते हैं।