नई दिल्ली। एक अप्रैल से देशभर में ऑटो निर्माता कंपनियां सिर्फ BS4 मानक की गाड़ियां ही बेच सकती हैं। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बीएस 3 वाली गाड़ियों की बिक्री पर रोक लगा दी है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि 1 अप्रैल 2017 से ऑटो कंपनियां बीएस 3 की गाड़ियां नहीं बेच पाएंगी।
ऑटो क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से विभिन्न ऑटो कंपनियों की 8.2 लाख गाड़ियां बेकार हो जाएंगी जो कि बेचने के लिए पहले से बना ली गई थीं। अब प्रश्न है यह भी है कि आखिर बीएस3 वाहन हैं क्या और क्यों ऐसी गाड़ियों के बनाने और बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। बीएस का संबंध एमिशन स्टैंडर्ड (ईंधन से होने वाले कार्बन उत्सर्जन) से है। बीएस यानी भारत स्टेज (देश के पर्यावरण मानक) से पता चलता है कि आपकी गाड़ी कितना प्रदूषण फैलाती है।
बीएस (भारत में कार्बन उत्सर्जन मानक) के जरिए ही भारत सरकार गाड़ियों के इंजन से निकलने वाले धुएं से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करती है। इस बीएस (भारत स्टेंडर्ड) मानक को केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड) ने तय किया है। देश में चलने वाली हर गाड़ियों के लिए बीएस का मानक जरूरी कर दिया गया है क्योंकि इससे सरकार पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपाय करती है। विदित हो कि पश्चिमी देशों और दुनिया के अन्य देशों में भी ऐसे मानक तय किए गए हैं जिनका पालन करना वाहन निर्माता कंपनियों के लिए अनिवार्य है।
विदेश में कार्बन उर्त्सजन का मानक? : यूरोपीय देशों में इस तरह के मानक को यूरो कहते हैं। वहीं अमेरिका में ये मानक टीयर 1, टीयर 2 है। अब हम सवाल कर सकते हैं कि बीएस 3 क्या है? वास्तव में बीएस के साथ जो नंबर होता है उससे पता चलता है कि आपके वाहन के इंजन का प्रदूषण फैलाने का स्तर क्या है। इससे यह भी पता चलता है कि आपके वाहन के कार्बन उर्त्सजन का मानक जितना अधिक हो, वह उतना ही कम प्रदूषण फैलाता है।
देश में बीएस4 लागू करने की पहल : उल्लेखनीय है कि भारत में राजधानी, एनसीआर (नेशनल कैपिटल रीजन) और कुछ दूसरे शहरों में बीएस4 लागू है, लेकिन देश भर के वाहनों पर बीएस 3 लागू है जिसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाला माना जाता है।