Modi and Shah credibility at stake in Maharashtra: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव न सिर्फ महायुति बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के लिए भी काफी अहम हैं, क्योंकि इन चुनावों के परिणाम का असर भाजपा अध्यक्ष के चुनाव पर भी देखने को मिल सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि यदि महाराष्ट्र में मोदी और शाह के मन माफिक परिणाम नहीं आते हैं तो संभव है अगला भाजपा अध्यक्ष उनकी पसंद से अलग भी हो सकता है।
कितना कारगर होगा जीत का जुमला : मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, अमित शाह समेत अन्य भाजपा नेता चुनाव जीतने के लिए अपने-अपने बयानों से विधानसभा चुनाव में हिन्दू वोटरों के ध्रुवीकरण की कोशिश कर रहे हैं। सबसे ज्यादा चर्चा में योगी के बयान 'बंटेंगे तो कटेंगे' की है। मोदी भी प्रकारांतर से ऐसा ही जुमला उछाल रहे हैं- 'एक हैं तो सेफ हैं'। हालांकि महायुति में ही योगी के बयान को लेकर विरोध है। राज्य के डिप्टी सीएम और एनसीपी नेता अजित पवार खुले तौर पर इस बयान का विरोध कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि मैं इस बयान का समर्थन नहीं करता। यह यूपी और झारखंड में चलता होगा, महाराष्ट्र में नहीं चलता। हालांकि इसे महायुति के 'गेम प्लान' का हिस्सा भी माना जा रहा है। पवार ने इस बयान का विरोध इसलिए किया है ताकि मुस्लिम वोट एनसीपी से छिटक न जाएं।
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... तो कम होगी मोदी-शाह की ताकत : दूसरी ओर, महाराष्ट्र भाजपा के नेता भी 'बंटेंगे तो कटेंगे' पर असहज नजर आ रहे हैं। पार्टी की नेता पंकजा मुंडे और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राज्यसभा सांसद अशोक चव्हाण इस बयान को लेकर अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं। एमएलसी पंकजा ने कहा कि मैं इस नारे का समर्थन सिर्फ इसलिए नहीं करूंगी कि योगी आदित्यनाथ और मैं भाजपा से हैं। मेरा मानना है कि हमें सिर्फ विकास के लिए काम करना चाहिए। वहीं, चव्हाण ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि लोग इसकी सराहना करेंगे। माना जा रहा है कि इन बयानों को हवा देकर भाजपा महंगाई और बेरोजगारी जैसे बड़े मुद्दों से ध्यान हटाना चाहती है। बावजूद इसके चुनाव के परिणाम यदि भाजपा के पक्ष में नहीं आते हैं मोदी-शाह की ताकत और कम हो सकती है।
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कौन हो सकता है भाजपा का अगला अध्यक्ष : पार्टी में जल्द ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी चुनाव होना है। यदि ये दोनों नेता ताकतवर होते हैं तो स्वाभाविक रूप अध्यक्ष इन्हीं की पसंद का होगा। यदि परिणाम उलट होते हैं तो अध्यक्ष ऐसा भी हो सकता है जो जेपी नड्डा की तरह 'यस मैन' नहीं हो। कुछ समय पहले अध्यक्ष पद के लिए भाजपा के पूर्व संगठन मंत्री संजय जोशी और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम भी चला था, इन दोनों के ही मोदी से अच्छे संबंध नहीं हैं।
कहा तो यह भी जा रहा है कि इस बार भाजपा का अध्यक्ष दक्षिण भारत से भी हो सकता है। यदि महिला अध्यक्ष की बात सामने आती है तो स्मृति ईरानी और वसुंधरा बड़ी दावेदार हो सकती हैं। यदि स्मृति अध्यक्ष बनती हैं तो मोदी-शाह की जोड़ी इसमें कोई संदेह नहीं कि महाराष्ट्र चुनाव के परिणाम के बाद भाजपा में कई परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं।