जम्मू। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने अब हैदरपोरा मुठभेड़ की जांच के आदेश दिए हैं और कहा कि किसी के साथ नाइंसाफी नहीं की जाएगी, पर श्रीनगर में 15 नवंबर की शाम हुई मुठभेड़ में 4 लोगों की मौत हुई और मारे जाने वाले लोगों में एक का नाम है डॉ. मुदस्सिर गुल। पुलिस के मुताबिक डॉ. गुल आतंकियों के लिए ओवरग्राउंड वर्कर का काम कर रहा था, लेकिन गुल की फैमिली इस बात को नकार रही है।
श्रीनगर के हैदरपोरा में एक मुठभेड़ में मारे गए 2 आम नागरिकों के परिवार के सदस्यों को मध्यरात्रि के करीब पुलिस ने धरनास्थल से बलपूर्वक हटा दिया और उनमें से कुछ को हिरासत में भी ले लिया। वे यहां प्रेस एन्क्लेव में धरने पर बैठे थे। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
प्रदर्शनरत परिवार बुधवार की सुबह से धरने पर बैठा था और उन्होंने दिनभर प्रदर्शन करने के बाद रात में मोमबत्ती जलाकर विरोध जताया था। वे अपने परिजन के शव उन्हें लौटाए जाने की मांग को लेकर कड़कड़ाती ठंड के बीच प्रेस एन्क्लेव में धरने पर बैठे थे।
अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने मध्यरात्रि के आसपास धरनास्थल से प्रदर्शनकारियों को बलपूर्वक हटा दिया। उन्होंने बताया कि पुलिसकर्मियों के आने से पहले ही इलाके में बिजली की आपूर्ति काट दी गई। पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है।
मुठभेड़ के विरोध में श्रीनगर की प्रेस कॉलोनी में दो दिन से डॉ. गुल की फैमिली और दूसरे कश्मीरी प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें गुल की एक साल की बेटी भी शामिल है, जो पिता की फोटो हाथ में लिए बाबा-बाबा पुकार रही है। उसे नहीं पता कि उस पर क्या मुसीबत टूटी है।
मुठभेड़ के बाद ही पुलिस ने डॉ. गुल समेत सभी आतंकियों के शवों को दफना दिया था। प्रदर्शनकारियों में शामिल डेंटिस्ट डॉ. गुल की पत्नी हुमैरा की आंखों के आंसू सूखने का नाम नहीं ले रहे। वो कहती हैं कि हमें इंसाफ दिलाइए। मेरी बेटी अपने बाबा को बार-बार पूछ रही है।
मेरे तीन बच्चों के साथ इंसाफ कीजिए। वह आतंकी नहीं थे। अगर वे आतंकी थे तो हमें सबूत दिखाइए। हमें उनका शव चाहिए ताकि मैं और मेरे बच्चे उनका चेहरा तो देख सकें। अगर पुलिस हमें सबूत देती है कि वो आतंकी थे, तो मुझे और मेरे बच्चों को भी मार दीजिए।
आधी रात को हुई पुलिस कार्रवाई की जम्मू कश्मीर के मुख्यधारा के नेताओं ने निंदा की है। पुलिस कार्रवाई की वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इस पर महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया कि निर्दोष नागरिकों के शव सौंपने के बजाय पुलिस ने अपने प्रियजनों के शवों की मांग करने के लिए परिवार के सदस्यों को ही गिरफ्तार कर लिया। अविश्वसनीय रूप से क्रूरता और संवेदनहीनता। कम से कम वे फौरन शव लौटा सकते हैं।
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने इस संबंध में कहा कि प्रशासन अपना अमानवीय और बदसूरत चेहरा पेश करने पर आमादा है। उन्होंने ट्वीट किया कि प्रशासन को क्या हो गया है? वे मानवीय रुख क्यों नहीं अपना सकते? वे अमानवीय और बदसूरत चेहरा दिखाने पर आमादा क्यों हैं?
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता रुहुल्ला मेहंदी ने ट्वीट किया कि जम्मू कश्मीर पुलिस, जनरल डायर को आप पर बहुत गर्व होगा, जबकि उमर अब्दुल्ला ने इस कार्रवाई को अपमानजनक बताते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर पुलिस ऐसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल की दूरी और दिल्ली से दूरी हटाने के वादे को पूरा कर रही है। यह वादा उन्होंने जून में सर्वदलीय बैठक में किया था।