देहरादून। इस बार चारधाम यात्रा में 50 लाख यात्रियों के आने की संभावना जताई जा रही है। जिस तरह ऑनलाइन बुकिंग करने वालों की संख्या पिछले 21 फरवरी से अब तक 2 लाख से अधिक पहुंच गई है उससे लगता है कि इस सीजन में भी यह यात्रा भीड़भरी रहने वाली है। यदि ऐसा हुआ तो इससे स्थानीय प्रशासन की चुनौतियां बढ़नी तय हैं।
बद्रीनाथ का रास्ता धंसते शहर जोशीमठ से होकर ही जाता है, असली चुनौती प्रशासन के सम्मुख इसको लेकर ही आने वाली है। राज्य सरकार अब यात्रियों की संख्या पर नियंत्रण को लेकर कवायद में जुट गई लगती है। इसी के तहत अब सरकार ने यात्रियों से पैदल चलने का फिटनेस सर्टिफिकेट मांगने का फैसला किया है। जो भी यात्री पैदल यात्रा करते हुए चारधाम यात्रा करेंगे उन्हें पहले फिटनेस सर्टिफिकेट दिखाना होगा।
केदारनाथ, यमुनोत्री और हेमकुंड साहिब में पैदल यात्रा के बाद ही धामों तक पहुंचा जाता है।ऐसे में पैदल यात्रा के फिटनेस सर्टिफिकेट के साथ ही यात्रियों को इस बार यात्रा में आना अनिवार्य किया जा रहा है।पिछले वर्ष पैदल चलने के दौरान कई यात्रियों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हुई थीं और यात्रियों की मौत की भी खबरें आई थीं
स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि ये सबके लिए बहुत अच्छा होगा कि यात्री अपने राज्यों से पैदल यात्रा करने का प्रमाण पत्र लेकर आएं। पिछले साल मई से शुरू हुई चारधाम यात्रा में 14 अक्टूबर 2022 तक 311 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी थी। इनमें से अकेले केदारनाथ धाम के पैदल मार्ग पर 135 ने दम तोड़ा।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इसके अलावा इस अवधि में बद्रीनाथ में 75, यमुनोत्री में 80 और गंगोत्री धाम के रूट पर 21 तीर्थयात्रियों की मौत हुई, जबकि सरकार व स्वास्थ्य विभाग की ओर से यात्रा रूटों पर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 180 से अधिक डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ तैनात किया गया था, लेकिन केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के लिए पैदल चढ़ाई करते समय हार्टअटैक से भी तीर्थयात्रियों की मौत हुई।
पिछले साल केदारनाथ यात्रा मार्ग में यात्रियों की लगी भीड़ से भी यात्री हलकान रहे थे। भीड़ की धक्का-मुक्की में भी कई यात्रियों के चोटिल होने की खबरें आई थी।इससे भी इस बार कैसे निपटा जाए इसकी भी काट प्रशासन ढूंढ रहा है।
Edited By : Chetan Gour