IMD statement regarding rain in India : भारत में जून में सामान्य से 11 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई जो पिछले 5 वर्षों में सबसे ज्यादा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने सोमवार को यह जानकारी दी। आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, देश में जून महीने में 147.2 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य बारिश 165.3 मिमी होती है। इस तरह वर्ष 2001 के बाद से यह सातवां सबसे कम बारिश वाला महीना रहा।
देश में चार महीने के मानसून के दौरान औसतन कुल 87 सेमी वर्षा में से जून की वर्षा का हिस्सा 15 प्रतिशत है। 30 मई को केरल और पूर्वोत्तर क्षेत्र में जल्दी पहुंचने और महाराष्ट्र तक सामान्य रूप से आगे बढ़ने के बाद मानसून ने गति खो दी, जिससे पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बारिश का इंतजार बढ़ गया और उत्तर-पश्चिम भारत में भीषण गर्मी का असर देखने को मिला।
आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा, देश में 11 जून से 27 जून तक 16 दिन सामान्य से कम वर्षा हुई। इस वजह से कुल मिलाकर सामान्य से कम वर्षा दर्ज की गई। आईएमडी ने बताया कि उत्तर-पश्चिम भारत में 33 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई। वहीं मध्य भारत में 14 प्रतिशत की कमी और पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में 13 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। जून में केवल दक्षिण भारत में ही अतिरिक्त बारिश (14 प्रतिशत) दर्ज की गई।
आईएमडी ने बताया कि देश के 12 प्रतिशत उप संभागीय क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा हुई, 38 प्रतिशत में सामान्य वर्षा हुई तथा 50 प्रतिशत में अल्प वर्षा हुई। आईएमडी के आंकड़ों से पता चलता है कि 25 वर्षों में से 20 वर्षों में जब जून में वर्षा सामान्य से कम (दीर्घावधि औसत या एलपीए के 92 प्रतिशत से कम) हुई, जुलाई में बारिश सामान्य (एलपीए का 94-106 प्रतिशत) या सामान्य से अधिक रही।
आंकड़ों के मुताबिक 25 वर्षों में से 17 वर्षों में जब जून में वर्षा सामान्य से कम दर्ज की गई तब मानसून के दौरान वर्षा सामान्य या सामान्य से अधिक हुई। आईएमडी ने पूर्व में देश में मानसून के दौरान सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान लगाया था, जिसमें कुल वर्षा दीर्घावधि औसत 87 सेमी का 106 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था।
आईएमडी ने कहा कि कि पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम, उत्तर-पश्चिम में सामान्य तथा देश के मध्य और दक्षिण प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में सामान्य से अधिक मानसूनी वर्षा होने की संभावना है। आईएमडी ने कहा कि भारत के मुख्य मानसून क्षेत्र में इस मौसम में सामान्य से अधिक बारिश होने का अनुमान है। इनमें देश के अधिकांश वर्षा आधारित कृषि क्षेत्र शामिल हैं। भारत के कृषि क्षेत्र के लिए मानसून महत्वपूर्ण है, क्योंकि कुल खेती योग्य क्षेत्र का 52 प्रतिशत हिस्सा इस पर निर्भर करता है।
यह देशभर में पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए जलाशयों के जल संचय के लिए भी महत्वपूर्ण है। जून और जुलाई को कृषि के लिए मानसून के सबसे महत्वपूर्ण महीने के तौर पर माना जाता है, क्योंकि खरीफ फसल की अधिकांश बुवाई इसी दौरान होती है।
वैज्ञानिकों ने कहा है कि वर्तमान में अल नीनो की स्थिति बनी हुई है और अगस्त-सितंबर तक ला नीना की स्थिति बन सकती है। अल नीनो, मध्य प्रशांत महासागर के गर्म होने, भारत में कमजोर मानसूनी हवाओं और शुष्क परिस्थितियों से जुड़ा हुआ है। अल नीनो के विपरीत ला नीना से मानसून के दौरान अच्छी बारिश होती है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour