Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

5 वर्षों में पिछड़े समुदाय से मात्र 15 फीसदी न्यायाधीश हुए नियुक्त, न्याय विभाग ने किया खुलासा

हमें फॉलो करें 5 वर्षों में पिछड़े समुदाय से मात्र 15 फीसदी न्यायाधीश हुए नियुक्त, न्याय विभाग ने किया खुलासा
, रविवार, 1 जनवरी 2023 (19:45 IST)
नई दिल्ली। न्याय विभाग ने एक संसदीय समिति को बताया है कि पिछले 5 वर्षों में उच्च न्यायालयों में नियुक्त न्यायाधीशों में से 15 प्रतिशत से थोड़ा अधिक पिछड़े समुदायों से थे। विभाग ने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति में न्यायपालिका की प्रधानता के तीन दशकों के बाद भी यह समावेशी और सामाजिक रूप से विविध नहीं बन पाया है।

विभाग ने कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के प्रस्तावों की शुरुआत कॉलेजियम द्वारा की जाती है, इसलिए अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अल्पसंख्यक और महिलाओं के बीच से उपयुक्त उम्मीदवारों के नामों की सिफारिश करके सामाजिक विविधता के मुद्दे को हल करने की प्राथमिक जिम्मेदारी उसकी बनती है।

विभाग ने कहा कि वर्तमान प्रणाली में सरकार केवल उन्हीं व्यक्तियों को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त कर सकती है, जिनकी शीर्ष अदालत के कॉलेजियम द्वारा सिफारिश की जाती है।

न्याय विभाग ने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी की अध्यक्षता वाले कार्मिक, लोक शिकायत, कानून एवं न्याय पर संसद की स्थाई समिति के समक्ष एक विस्तृत प्रस्तुति दी।

विभाग ने इसमें कहा, न्यायपालिका को संवैधानिक अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में प्रमुख भूमिका निभाते लगभग 30 साल हो गए हैं। हालांकि सामाजिक विविधता की आवश्यकता पर ध्यान देते हुए उच्च न्यायपालिका को समावेशी एवं प्रतिनिधिक बनाने की आकांक्षा अभी तक हासिल नहीं हुई है।

विभाग ने कहा कि सरकार उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से अनुरोध करती रही है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजते समय, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और महिलाओं से संबंधित उपयुक्त उम्मीदवारों पर उचित विचार किया जाए ताकि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में सामाजिक विविधता सुनिश्चित की जा सके।

न्याय विभाग द्वारा साझा किए गए विवरण के अनुसार, 2018 से 19 दिसंबर, 2022 तक, उच्च न्यायालयों में कुल 537 न्यायाधीश नियुक्त किए गए, जिनमें से 1.3 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, 2.8 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 11 प्रतिशत ओबीसी वर्ग और 2.6 प्रतिशत अल्पसंख्यक समुदायों से थे। विभाग ने कहा कि इस अवधि के दौरान 20 नियुक्तियों के लिए सामाजिक पृष्ठभूमि पर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं।

प्रस्तुति के दौरान, विभाग ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) के बारे में भी बात की और कहा कि इसने दो प्रतिष्ठित व्यक्तियों को इसके सदस्यों के रूप में प्रस्तावित किया, जिनमें एक अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय या अल्पसंख्यकों या एक महिला से नामित किया जाएगा।
हालांकि उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने एनजेएसी को असंवैधानिक और अमान्य घोषित कर दिया।Edited By : Chetan Gour (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

CM धामी बोले- ऋषभ पंत की जान बचाने वाले बस चालक और परिचालक 26 जनवरी को होंगे सम्मानित