नई दिल्ली। भारत को डराने-धमकाने की कोशिशें में असफल रहने के बाद चीन ने भारत में सीमावर्ती राज्यों में बड़े पैमाने पर अशांति बनाने की योजना को आकार दे रहा है। जानकार सूत्रों का कहना है कि चीनी सेना की खुफिया इकाई ने अलगाववादी नगा संगठनों को इस्तेमाल करने की पूरी तैयारी कर ली है।
सूत्रों के अनुसार चीनी सेना की खुफिया इकाई की ओर से अलगाववादी संगठनों को अधिकाधिक सामरिक, आर्थिक मदद दी जा रही है। चीनी सेना, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की इंटेलिजेंस इकाई इस योजना पर काम कर रही है।
नक्सली संगठन के भरोसेमंद सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चीनी सेना से जुड़े अधिकारी अरुणाचल प्रदेश से सटी सीमा पर सक्रिय प्रतिबंधित अलगाववादी नगा उग्रवादी संगठन, एनएससीएन (खापलांग), से सीधा संपर्क बनाए हुए हैं और इस संगठन को हर तरह से मदद दे रहे हैं।
इस उग्रवादी संगठन में अभी चार हजार से ज्यादा गुरिल्ला सदस्य हैं जिनमें कई को चीनी सेना के अधिकारियों ने प्रशिक्षित किया है। नगा उग्रवादी संगठन चीन की साजिश को आगे बढ़ाते हुए बंगाल, झारखंड, ओडिशा व छत्तीसगढ़ समेत देश के अन्य राज्यों में सक्रिय नक्सलियों को आर्थिक व हथियारों से ताकतवर बनाने में जुटे हैं।
इस काम के लिए अरुणाचल में एक प्रशिक्षण केंद्र चीनी सेना की इंटेलिजेंस इकाई के अफसरों द्वारा अरुणाचल प्रदेश के एक सुदूर गांव में प्रशिक्षण केंद्र चलाया जा रहा है, जहां इन उग्रवादी संगठनों के सदस्यों को गुरिल्ला युद्ध का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यहां के चांगलाना जिले में उस गांव की भौगोलिक स्थिति को चीन अपनी साजिश को परवान चढ़ाने के लिए बहुत उपयोगी मानता है।
इस गांव के उत्तर में लोहित जिला, पूर्व में म्यांमार, पश्चिम में असम व दक्षिण में टिराप जिला है। इसी इलाके में नामपोंग तहसील है जिसके छोटे से गांव लंगा, जो म्यांमार सीमा के करीब है, से नगा विद्रोही अपनी समानांतर सरकार चलाते हैं। नामपोंग नगर से 108 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव में कुल 20 घर हैं और आबादी महज 93 है।