जम्मू। चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प के बाद पूरे देश में माहौल गरमाया हुआ है। दूसरी ओर, चीन की बर्बरता की कहानियां भी सामने आ रही हैं। बताया जा रहा है कि चीनियों ने भारतीय सैनिकों पर कंटीले तारों और पत्थरों से हमला किया था। हालांकि भारतीय सैनिकों ने भी असाधारण शौर्य का परिचय देते हुए चीन के 40 से ज्यादा सैनिकों को नुकसान पहुंचाया इनमें मृतकों के साथ गंभीर रूप से घायल चीनी सैनिक भी शामिल हैं। ऐसा भी कहा जा रहा है कि चीनी बर्बरता ने कारगिल युद्ध की यातनाओं की याद दिला दी।
रक्षा सूत्रों के बकौल सारा प्रकरण सोमवार दोपहर के बाद आरंभ हुआ, जब भारतीय सैनिक निर्देशों के बाद पेट्रोल प्वॉइंट 14 के पास चीनी सेना द्वारा ताजा गाड़े गए एक टेंट को हटवाने के लिए गए थे। पर लाल सेना ने पहले ही षड्यंत्र बुन रखा था। उसने भारतीय सैनिकों की आपत्ति के तुरंत बाद टेंट को आग लगा दी और फिर उन पर हमला कर दिया।
नतीजतन भारतीय जवानों का नेतृत्व कर रहे 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी. संतोष बाबू समेत 3 सैनिक शहीद हो गए। भारतीय सैनिकों पर चीन ने जिन हथियारों से हमला किया, वे भयावह कहे जा सकते हैं। चीनियों ने लकड़ी तथा लोहे डंडों पर पत्थर तथा कांटेदार तार बांधकर भारतीय सैनिकों पर हमला किया।
इस हमले के तुरंत बाद और भारतीय सैनिक भी घटनास्थल की ओर रवाना हुए। सूत्रों के मुताबिक करीब 200 भारतीय सैनिकों ने मामला सुलझाने की कोशिश की पर नाकाम रही, क्योंकि संख्या में 900 से अधिक चीनी सैनिकों ने उनमें से कई सैनिकों को बंधक बना लिया। हालांकि बंधक बनाए जाने की कहानी पर भारतीय सेना की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, शहीद तथा गंभीर रूप से जख्मी होने वाले भारतीय जवानों में से कई शवों को ऊंची पहाड़ी से नीचे फेंका गया, जबकि कई को गलवान नदी के माइनस 30 डिग्री वाले पानी में फेंक दिया।
बताया जा रहा है कि इस कायरतापूर्ण हरकत के बाद भी चीनी सेना भारतीय जवानों के शवों तथा बंधक बनाए गए जवानों को वापस लौटाने को राजी नहीं थी। फिर कई स्तरों पर हुई बातचीत के बाद मंगलवार दोपहर को उनके शवों को लौटाया गया तथा बंधकों को भी रिहा कर दिया गया। बताया जा रहा है कि रिहा किए गए बंधकों में से भी कई गंभीर रूप से जख्मी हैं।
यह भी कहा जा रहा है कि कुछेक भारतीय सैनिक अभी भी चीन के कब्जे में हैं। हालांकि भारतीय सेना ने न तो उसकी पुष्टि की है और न ही खंडन किया है। सूत्रों के मुताबिक लेह तथा उधमपुर के कमांड अस्पतालों में इलाज करवा रहे सैनिकों ने इसकी पुष्टि जरूर की थी कि उनके कई जवान व अफसर लापता हैं।