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Mohan Bhagwat : सोने की चिड़िया की नहीं, भारत को अब शेर बनने का समय आ गया, केरल में ऐसा क्यों बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

कोच्चि , रविवार, 27 जुलाई 2025 (20:26 IST)
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि देश में शिक्षा प्रणाली औपनिवेशिक विचारों के दीर्घकालिक प्रभाव में विकसित हुई है और एक विकसित राष्ट्र के लिए भारतीय दर्शन पर आधारित एक विकल्प तैयार करने की आवश्यकता है।  भागवत ने कहा कि दुनिया शक्ति को समझती है और इसलिए भारत को आर्थिक रूप से भी सशक्त और समृद्ध बनना होगा। भागवत ने कहा कि भारत को अब 'सोने की चिड़िया' बनने की जरूरत नहीं है, बल्कि अब 'शेर' बनने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है क्योंकि दुनिया शक्ति को समझती है। इसलिए भारत को सशक्त बनना चाहिए। उसे आर्थिक रूप से भी समृद्ध बनना होगा। 
भागवत ने यह भी कहा कि भारत, व्यक्तिवाचक संज्ञा है, इसका अनुवाद इस रूप में नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत एक व्यक्तिवाचक संज्ञा है। इसका अनुवाद 'इंडिया, भारत' नहीं होना चाहिए। यह सच है, लेकिन भारत, भारत ही है।  इसलिए, बातचीत, लेखन और भाषण के दौरान, चाहे वह व्यक्तिगत हो या सार्वजनिक, हमें भारत को भारत ही रखना चाहिए।
 
आरएसएस से जुड़े शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित राष्ट्रीय चिंतन बैठक के दूसरे दिन प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि इसके लिए दृष्टिकोण गंभीर, यथार्थवादी और पूरी तरह भारतीय आधार वाला होनी चाहिए।
 
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा जारी बयान के अनुसार, उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं, उन्हें अपने काम में निपुण होना चाहिए, दूसरों के लिए मिसाल बनना चाहिए और आपसी अच्छे संबंध बनाने चाहिए ताकि सब मिलकर देश को आगे ले जा सकें।
 
बयान में यह भी कहा गया कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास रविवार शाम को यहां राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन 'ज्ञान सभा' का आयोजन करेगा, जिसे भागवत संबोधित करेंगे। संगठन ने एक विज्ञप्ति में कहा कि सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन सोमवार को होगा।
 
एक बयान में संगठन ने दावा किया कि भारतीय दर्शन पर आधारित शिक्षा प्रणाली सामाजिक सुधार और राष्ट्रीय प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेगी। यह बयान शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय महासचिव अतुल कोठारी ने संगठन की राष्ट्रीय चिंतन बैठक के दूसरे दिन पिरावम के वेल्यानाड में 'चिन्मय इंटरनेशनल फाउंडेशन' के मुख्यालय आदि शंकरा निलयम में दिया।
कोठारी ने 'ज्ञान सभा' के महत्व पर बात की और दावा किया कि भौतिक प्रगति के साथ ‘‘हम बहुत गंभीर सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का भी सामना कर रहे हैं।’’ भागवत की उपस्थिति में बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने नैतिक मूल्यों में गिरावट, महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा और बिगड़ते पर्यावरणीय मुद्दों को गहरे सामाजिक संकट का संकेत बताया। भाषा  Edited by : Sudhir Sharma 

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