रूस की दोस्ती से भारत की समुद्र में ताकत दोगुनी हो गई है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यात्रा से पहले भारत और रूस के बीच बड़ी डिफेंस डील की खबर सामने आई है। भारत और रूस के बीच 2 बिलियन डॉलर (करीब 16,700 करोड़ रुपए) की न्यूक्लियर सबमरीन डील हुई है। करीब 10 साल से इस डील को अंतिम रूप देने पर बात चल रही थी।
भारतीय अधिकारी अगले साल नवंबर में एक रूसी शिपयार्ड का दौरा करेंगे। ये दूसरी परमाणु पनडुब्बी है जो भारत को रूस से मिलने जा रही है। इससे पूर्व 2012 में रूस से आईएनएस चक्र सबमरीन 10 वर्षों के लिए लीज पर ली थी। 2022 में वापस रूस चली गई थी।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन राजकीय दौरे पर 4-5 दिसंबर को भारत आएंगे। पुतिन 23वें भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन में शामिल होंगे। पुतिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे। भारत और रूस अब अपनी दोस्ती को व्यापारिक साझेदारी में भी बढ़ाने की ओर अग्रसर हैं। यही कारण है कि ट्रेड को लेकर भी दोनों देशों के बीच बातचीत हो रही है।
क्या हैं खूबियां, कब तक मिलेगी सबमरीन
भारत वर्तमान में 17 डीजल-चालित पनडुब्बियों का संचालन करता है। भारत को अगले 2 साल के अंदर इस पनडुब्बी की डिलीवरी मिल जाएगी। इसके अतिरिक्त ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत दो परमाणु ऊर्जा चालित हमलावर पनडुब्बियां भी बना रहा है। अब तक केवल कुछ ही देशों अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस के पास परमाणु ऊर्जा से चलने वाले सबमरीन को तैनात करने और संचालित करने की तकनीक थी।
दक्षिण कोरिया परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियां बनाने के लिए भी अमेरिका के साथ मिलकर काम कर रहा है। परमाणु ऊर्जा से चलने वाली सबमरीन डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन से कहीं बेहतर होती है। ये आमतौर पर बड़ी होती है, ज्यादा देर तक पानी के नीचे रह सकती है और अधिक शांत होती है। इससे इनका पता लगाना मुश्किल हो जाता है। खासकर हिन्द और प्रशांत महासागर के विशाल क्षेत्रों में गश्त करते समय इसका पता लगाना मुश्किल होगा, जिससे चीन की नींद उड़ी हुई है। Edited by : Sudhir Sharma