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Supreme Court : भारत कोई धर्मशाला नहीं, 140 करोड़ लोगों के साथ पहले से ही संघर्ष कर रहा है, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच एक श्रीलंकाई नागरिक की याचिका पर सुनवाई कर रही थी

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , सोमवार, 19 मई 2025 (16:53 IST)
सोमवार को शरणार्थियों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है। शरणार्थियों को शरण देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की। दुनिया भर से आए लोगों को शरण देने का कोई औचित्य नहीं है। भारत ऐसे लोगों को शरण क्‍यों दे। 
 
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भारत 140 करोड़ लोगों के साथ पहले से ही संघर्ष कर रहा है। हर जगह से आए शरणार्थियों को शरण देना संभव नहीं। जस्टिस दीपांकर दत्ता ने श्रीलंका से आए तमिल शरणार्थी को हिरासत में लिए जाने के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए यह बड़ी टिप्पणी की।
 
क्या है पूरा मामला
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच एक श्रीलंकाई नागरिक की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे 2015 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) से जुड़े होने के संदेह में गिरफ्तार किया गया था, जो एक समय श्रीलंका में सक्रिय एक आतंकवादी संगठन था। 
 
श्रीलंका के याचिकाकर्ता की ओर से वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह एक श्रीलंकाई तमिल है, जो वीजा पर यहां आया था। उसके अपने देश में उसकी जान को खतरा है। याचिकाकर्ता बिना किसी निर्वासन प्रक्रिया के लगभग तीन वर्षों से नजरबंद है। याचिकाकर्ता को UAPA मामले और विदेशी अधिनियम मामले में दोषी ठहराया गया है।  इनपुट एजेंसियां Edited by: Sudhir Sharma

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