मुंबई। भारत बेहतर लाभ के साथ सेवानिवृत्ति आय व्यवस्था उपलब्ध कराने के मामले में फिसड्डी है। भारत कुल 34 देशों में नीचे से दूसरे स्थान पर है।
मेलबोर्न मर्सर ग्लोबल पेंशन सूचकांक से पता चलता है कि दुनियाभर में उम्रदराज होती आबादी सरकारों के लिए चुनौती है। नीति निर्माता अपने सेवानिवृत्त लोगों को ऐसी वित्तीय सुरक्षा उपलब्ध कराने को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, जो न केवल व्यक्तिगत रूप से पर्याप्त हो बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहतर हो।
अध्ययन में कहा गया है कि भारत सेवानिवृत्ति आय प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में धीमा लेकिन निरंतर आगे बढ़ रहा है। हालांकि 34 देशों की रैंकिंग में वह नीचे से दूसरे स्थान पर है। वह सूची में 'ग्रेड डी' में जापान, चीन, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको तथा अर्जेंटीना के साथ है। सूचकांक में 34 देशों में सेवानिवृत्ति आय प्रणाली के आकलन के लिए 3 उपसूचकांक- उसका पर्याप्त होना, भरोसेमंद और ईमानदारी का उपयोग किया गया है।
अध्ययन में कुल 34 देशों की 34 पेंशन प्रणालियों का आकलन किया गया है। इसके अनुसार नीदरलैंड्स और डेनमार्क क्रमश: 80.3 तथा 80.2 अंक के साथ 'ए' श्रेणी में हैं। इसका मतलब है कि इन देशों में वैश्विक स्तर की सेवानिवृत्ति आय प्रणाली है और ये कल की उम्रदराज होने वाली आबादी के लिए पूर्ण रूप से तैयार हैं। पर्याप्त उपसूचकांक के मामले में जर्मनी 79.9 अंक तथा फ्रांस 79.5 अंक के साथ उच्च स्तर पर हैं, वहीं मैक्सिको 37.3 तथा भारत 38.7 के साथ निम्न स्थान पर है।
अध्ययन में यह पाया गया है कि भारत ने भरोसेमंद और ईमानदार व्यवस्था के मामले में 2017 के स्तर को बरकरार रखा है, हालांकि कुल मिलाकर सूचकांक मूल्य 2017 के 44.9 से घटकर 2018 में 44.6 पर आ गया।