नई दिल्ली। माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के तहत मुनाफाखोरीरोधी महानिदेशालय (डीजीएपी) ने चॉकलेट और नूडल्स जैसे उत्पाद बनाने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया की 100 करोड़ रुपए की मुनाफाखोरी पकड़ी है। कंपनी को जीएसटी दर में कमी का लाभ ग्राहकों को नहीं देने का दोषी पाया गया। हालांकि कंपनी ने पकड़े जाने के बाद उपभोक्ता कल्याण कोष में स्वेच्छा से 16.58 करोड़ रुपए जमा करा दिए।
डीजीएपी ने राष्ट्रीय मुनाफाखोरीरोधी प्राधिकरण (एनएए) के पास जमा की गई जांच रिपोर्ट में कहा है कि नेस्ले इंडिया ने जीएसटी दर में कमी का फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचाया है और मुनाफाखोरी की है। उसने कर दर कम होने के बावजूद उत्पादों की कीमत नहीं घटाई।
नेस्ले इंडिया के एक प्रवक्ता ने इस बारे में संपर्क किए जाने पर कहा कि कंपनी ने उपभोक्ताओं को कर दर में छूट का फायदा नहीं देने को लेकर स्वेच्छा से उपभोक्ता कल्याण कोष में 16.58 करोड़ रुपए जमा कराए हैं। उसने कहा कि हम यह दोहराना चाहते हैं कि अधिकतम खुदरा मूल्य में अचानक कमी की स्थिति में ग्राहकों को कीमत कटौती का फायदा नहीं पहुंचने पर कंपनी ने 16.58 करोड़ रुपए अलग रखे थे और उसे अपने लाभ या बिक्री में नहीं दर्शाया है।
कंपनी ने कहा कि हमारे अनुरोध पर प्राधिकरण ने हमें हमारे द्वारा अलग रखी गई राशि को स्वेच्छा से उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा कराने को कहा, जो कि हमने कर दिया। नेस्ले इंडिया, चॉकलेट, नूडल्स और कॉफी जैसे उत्पाद बेचती है। जीएसटी परिषद ने 178 उत्पादों पर जीएसटी की दर कम की है जिसमें चॉकलेट, माल्ट, खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाला आटा, वेफर्स और वेफर्स वाले चॉकलेट शामिल हैं।
जीएसटी के तहत ही व्यवस्था की गई है कि जब दाम कटौती का फायदा ग्राहकों को नहीं पहुंचाया जा सके तो उस राशि को एक ग्राहक कल्याण कोष में जमा कराना होता है।