प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह देश के सबसे बड़े ड्रोन महोत्सव का शुभारंभ किया और ड्रोन का इस्तेमाल करने वाले किसानों और व्यापारियों से चर्चा की। पीएम मोदी ने कहा कि ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कृषि, वैक्सीन डिलीवरी, सुरक्षा और राहत-बचाव कार्य में किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ वर्षों में भारत ड्रोन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विश्व का सबसे बड़ा देश बनने की ओर अग्रसर है। जानिए क्या है भारत में ड्रोन का भविष्य?
ऐसा माना जा रहा है कि भारत का ड्रोन मार्केट आने वाले दशक में मल्टी-बिलियन डॉलर मार्केट बन सकता है। आज भारत में कृषि, सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, मीडिया आदि क्षेत्रों में ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है। जम्मू एयरबेस के आस-पास के क्षेत्रों पर निगरानी रखने के लिए ड्रोन की तैनाती की गई है।
भारत सरकार की 'स्वामित्व स्कीम' के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रोन से कृषि भूमि का सर्वे भी किया जा रहा है। अमेजन, फ्लिपकार्ट और स्विगी जैसी वेबसाइट्स अपने प्रोडक्ट्स की डिलीवरी करने के लिए जल्द ही ड्रोन का परिक्षण करने वाली है। भारत की ड्रोन इंडस्ट्री का विश्व के कुल ड्रोन उत्पादन में 4.25 प्रतिशत का योगदान है, जिसे 2030 तक 20% तक ले जाने की संभावनाएं है।
2018 में ड्रोन के इस्तेमाल पर लगाए गए प्रतिबंधों को भारत सरकार द्वारा काम किया गया था, जिसके बाद 2019 में राष्ट्रिय स्तर पर ड्रोन के इस्तेमाल के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए। 2020 में सरकार ने 'अनआर्म्ड व्हीकल एक्ट' को लागू कर आम लोगों द्वारा ड्रोन के इस्तेमाल की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया।
वर्ष 2021 में नागर विमानन मंत्रालय ने ' ड्रोन ड्राफ्ट नियम 2021 ' लागू किए, जिसके माध्यम से किसी भी कंपनी द्वारा ड्रोन्स का उपयोग किया जाना आसान बनाया जा सके। इसकी टेक्नोलॉजी के बिकास के अलावा इसके इस्तेमाल के विषय में लोगों में जागरूकता बढ़ाने का काम भी अगले कुछ वर्षों में किया जाना है। अगर देश के अलग-अलग हिस्सों से किसानों को ड्रोन का उपयोग सिखाया जाए, तो भारत में कृषि की सूरत बदलते देर नहीं लगेगी। लघु एवं कुटीर उद्योगों के लिए ड्रोन डिलीवरी एक प्रभावशाली विकल्प हो सकता है।
क्या है डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म ?
केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यह दावा की है कि आने वाले कुछ वर्षों में प्राइवेट कंपनियों द्वारा ड्रोन का उपयोग बढ़ने वाला है। इसके लिए भारत सरकार एक 'डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म ' बनाने की योजना पर भी काम कर रही है, जिसकी मदद से ड्रोन्स को ऑनलाइन माध्यम से संचारित किया जा सके। ये एक यूजर फ्रेंडली सिस्टम होगा, जिसके अंतर्गत सभी ड्रोन्स का पंजीयन किया जाएगा। इस प्लेटफार्म की मदद से ड्रोन संचालन की प्रक्रिया की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाएगा।
ड्रोन कई तरह के होते है। आकार के हिसाब से इन्हे 4 भागों में बांटा गया है -
1. नैनो और माइक्रो साइज ड्रोन - जिनका वजह 250 ग्राम से कम होता है।
2. स्मॉल साइज ड्रोन - जिनका वजन 2 से 25 किलोग्राम के बीच में होता है।
3. मीडियम साइज ड्रोन - जिनका वजन 25 से 250 किलोग्राम के बीच हो सकता है।
4. लार्ज साइज ड्रोन - जिनका वजन 250 किलोग्राम से ज्यादा का हो सकता है।
भारत में ड्रोन के भविष्य को लेकर कई संभावनाएं है। कई बड़े स्टार्ट-अप इस क्षेत्र में बड़े स्तर पर निवेश कर रहे हैं। सरकार इस दिशा में काम करने वाली कंपनियां ड्रोन टेक्नोलॉजी को और अधिक सुरक्षित और आसान बनाने के लिए प्रयासरत है। भारतीय ड्रोन निर्माता कंपनियां लगातार अंतराष्ट्रीय ड्रोन निर्माताओं से जुड़कर ड्रोन टेक्नोलॉजी के विकास की योजना बना रही है। कुछ महीनों पहले तुर्की ने भारत को अपनी सुरक्षा के लिए 100 हाई टेक्नोलॉजी ड्रोन देने का ऐलान किया था। इसके अलावा भारत इजराइल और अमेरिका की ड्रोन निर्माता कंपनियों से भी संपर्क में है।