Agniveer Scheme में ये बदलाव चाहती है सेना, क्या कहता है इंटरनल सर्वे, कैसा है NDA के सहयोगी दलों का रुख
राहुल गांधी ने कहा था कूड़ेदान में फेंक देना चाहिए
Agniveer Scheme : पिछली भाजपा नीत एनडीए सरकार अग्निवीर योजना (Agniveer Scheme) लेकर आई। हालांकि इसे लेकर खूब विरोध भी हुआ। राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव प्रचारक के दौरान कहा कि अगर इंडिया गठबंधन की सरकार आती है तो इस योजना को रद्द कर दिया जाएगा। अब इसे लेकर नई खबर है। भारतीय सेना भी अग्निवीर योजना में कुछ बदलाव चाहती है। सेना ने इस योजना को लेकर इंटरनल सर्वे करवाया था। इनमें ये बातें सामने निकलकर आई हैं।
क्या है योजना : अग्निपथ योजना के तहत आर्मी, नेवी और एयर फोर्स में 4 साल के लिए युवाओं की कॉन्ट्रैक्ट पर भर्ती की जाती है। यह भर्ती ऑफिसर रैंक के नीचे के सैनिकों की होती है। भर्ती होने पर पहले 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाती है। उसके बाद जवानों (अग्निवीरों) की तैनाती की जाती है।
राहुल बोले थे कूड़ेदान में फेंक देना चाहिए : कांग्रेस सांसद राहुल गांधी चुनाव प्रचार के दौरान कहते थे कि अगर विपक्षी दल सत्ता में आया तो अग्निवीर योजना को रद्द कर दिया जाएगा और कूड़ेदान में फेंक दिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि हिन्दुस्तान के जवानों को मजदूरों में बदला जा रहा है। राहुल ने कहा था कि ये मोदी सरकार की योजना है. सेना की योजना नहीं। सेना इस योजना को नहीं चाहती थी।
1. सेवा की अवधि बढ़ाना : भारतीय सेना इसमें आर्मी सेवा अवधि को भी चार साल से बढ़ाकर सात से आठ साल करना चाहती है। चार साल की वर्तमान अग्निवीर भर्ती में औपचारिक बुनियादी ट्रेनिंग केवल 9 महीने की होती है शेष ट्रेनिंग तब की जाती है जब अग्निवीर को यूनिट में तैनात किया जाता है।
2. उम्र सीमा बढ़ाना : अभी 17 से 21.5 वर्ष की आयु के बीच अग्निवीरों को रखा जाता है। सेना सिग्नल, एयर डिफेंस और इंजीनियर्स जैसे तकनीकी हथियारों में भर्ती के लिए उम्र सीमा बढ़ाकर 23 साल करने का प्रस्ताव कर रही है। इन हथियारों को उनकी तकनीकी प्रकृति के कारण लंबी प्रशिक्षण अवधि की आवश्यकता होती है जब तक अग्निवीर किसी तकनीकी क्षेत्र में विशेषज्ञता विकसित करता है, तब तक सेवा अवधि समाप्त हो जाती है और उसे जाने देना पड़ता है।
3 सेवा अवधि बरकरार : भारतीय सेना चाहती है कि चार साल की समाप्ति के बाद भी अग्निवीरों की संख्या 60-70 फीसदी तक बरकरार रखी जाए। वर्तमान स्वरूप में अग्निवीरों का केवल 25 प्रतिशत हिस्सा ही रखा जाएगा। 75 प्रतिशत को लगभग 12 लाख के एकमुश्त भुगतान के साथ जाने दिया जाएगा।
4. जीवन निर्वाह भत्ते की योजना : भारतीय सेना चाहती है कि युद्ध में अग्निवीर की मृत्यु होने पर उसके परिवार के सदस्यों को जीवन निर्वाह भत्ते का प्रावधान भी योजना में शामिल किया जाना चाहिए।
5. नौकरी खोजने में गाइडेंस : सेना उन अग्निवीरों के लिए भी अनुग्रह भुगतान चाहती है जो प्रशिक्षण के दौरान विकलांग हो गए हैं। इसके अतिरिक्त एक पेशेवर एजेंसी होनी चाहिए जो अग्निवीरों को उनकी सेवा अवधि समाप्त होने के बाद भविष्य की नौकरियां खोजने के तरीके के बारे में मार्गदर्शन दे।
क्या बोले सहयोगी दल : अग्निवीर योजना को लेकर भी एनडीए के साथी दल जेडीयू का रुख भाजपा से अलग है। अग्निवीर योजना पर जेडीयू नेता केसी त्यागी का कहना है कि इस योजना से मतदाता नाराज हैं। हम चाहते हैं कि जिन कमियों पर जनता ने सवाल उठाए हैं, उस पर चर्चा होनी चाहिए और उन्हें दूर करना चाहिए।
सचिवों को सौंपा काम : मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल में 10 प्रमुख मंत्रालयों के सचिवों को अग्निपथ योजना की समीक्षा करने और इस स्कीम को अधिक आकर्षक व कारगर तरीके सुझाने का काम सौंपा है। केंद्र सरकार जल्द से जल्द इसकी हर कमी को दूर करना चाहती है।
हो सकते हैं बदलाव : अग्निपथ स्कीम को लागू हुए डेढ़ साल हो चुके हैं और इस दौरान इस स्कीम की समीक्षा की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स (DMA) ने तीनों सेनाओं से इस पर रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों के मुताबिक, चार साल के कार्यकाल को बढ़ाने, अधिक भर्ती करने और 25 प्रतिशत रिटेंशन की सीमा को बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है, लेकिन यह कितना होगा, इस पर अभी कुछ साफ नहीं हुआ है। ट्रेनिंग या ड्यूटी के दौरान किसी अग्निवीर के मौत या घायल होने की स्थिति में परिवार को आर्थिक सहायता देने पर भी उच्च स्तर विचार किया जा रहा है। इनपुट एजेंसियां