भारत ने बुधवार को स्वदेशी आकाश प्राइम हवाई रक्षा प्रणाली का सफल परीक्षण किया गया। यह भारत के आत्मनिर्भर रक्षा ढांचे को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारतीय सेना ने लद्दाख क्षेत्र में 15,000 फुट की ऊंचाई पर यह परीक्षण किया। इसमें रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
परीक्षण के दौरान आकाश प्राइम प्रणाली से सतह में हवा में मार गिराने वाली मिसाइलों ने उच्च गति वाले दो हवाई लक्ष्यों पर सीधा प्रहार किया गया। ऑपरेशन सिंदूर में आकाश सिस्टम ने पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को नाकाम कर अपनी ताकत दिखाई थी। अब आकाश प्राइम के साथ भारत की वायु रक्षा और मजबूत होगी।
ठंडे वातावरण में क्यों हुआ परीक्षण
यह परीक्षण उच्च ऊंचाई वाले कठिन और ठंडे वातावरण में किया गया, जहां सामान्य काम भी चुनौतीपूर्ण होते हैं। रक्षा अधिकारियों के अनुसार इस प्रणाली को भारतीय सेना के तीसरे और चौथे आकाश रेजिमेंट में शामिल किया जाएगा, जिससे देश की हवाई रक्षा और मजबूत होगी।
2,000 किमी के खतरों को कर देगा तबाह
आकाश प्राइम, मूल आकाश सिस्टम का एडवांस वर्जन है। इसे 2009 में सेना में शामिल किया गया था। एक आकाश बैटरी में चार लांचर होते हैं। इनमें तीन-तीन मिसाइलें होती हैं। ये 64 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है और 12 लक्ष्यों पर एक साथ हमला कर सकता है। मिसाइल में 60 किलो का विस्फोटक होता है, जो 2,000 किमी के दायरे में हवाई खतरों को नष्ट कर सकता है। यह प्रणाली तेज गति वाले हवाई लक्ष्यों, जैसे लड़ाकू विमान और ड्रोन, पर सटीक निशाना लगाने में सक्षम है। हाल के परीक्षण में इसने दो हवाई लक्ष्यों को सीधे नष्ट किया।
स्वदेशी और किफायती
S-400 की तुलना में आकाश प्राइम स्वदेशी तकनीक पर आधारित है और लागत में किफायती है। हालांकि S-400 की रेंज और तकनीकी क्षमता अधिक है, लेकिन आकाश प्राइम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अपनी गतिशीलता और सटीकता के लिए खास है। इनपुट एजेंसियां Edited by : Sudhir Sharma