नई दिल्ली। भारत में धीमी पड़ती कोरोनावायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर के बीच वैज्ञानिकों ने बड़ी सफलता हासिल की है। कोलकाता के वैज्ञानिक डॉ. रामेंद्र मुखर्जी ने पोर्टेबल बैटरी वाला एक वेंटिलेटर बनाया है। इसका वजह महज 250 ग्राम है।
मुखर्जी के मुताबिक इस वेंटिलेटर में दो हिस्से हैं। इसे एक मोबाइल चार्जर की मदद से चार्ज किया जा सकता है और एक बार में यह 8 घंटे तक कार्य कर सकता है। इसके साथ ही इसमे एक पॉवर यूनिट और दूसरी वेंटिलेटर यूनिट है।
डॉ. मुखर्जी ने बताया कि जैसे पॉवर बट को दबाया जाता है, यह वेंटिलेटर हवा सोख लेता है और इसे अल्ट्रा वायलेट चैंबर से गुजारा जाता है, जो कि हवा को शुद्ध कर देता है। फिल्टर के बाद हवा जीवाणु रहित हो जाती है। इस वेंटिलेटर को पाइप के जरिये मरीज के मुंह से जोड़ा जा सकता है। इसमें एक छोटा सा नॉब भी होता है, जिससे मरीज अपनी जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन की मात्रा को कम या ज्यादा कर सकता है।
दरअसल, मुखर्जी स्वयं कोरोना संक्रमण का शिकार हो चुके हैं। उसी दौरान उन्हें जेब में रखने वाले वेंटिलेटर बनाने का विचार आया। उन्हें अस्थमा के साथ सांस लेने में भी तकलीफ थी।
मुखर्जी का कहना है कि ये जेब में रखने वाला वेंटिलेटर बनाने का ख्याल उन्हें भी तब आय़ा, जब वो कोरोना के गंभीर संक्रमण से जूझ रहे थे। उन्हें अस्थमा के साथ सांस लेने में भी तकलीफ थी। मुखर्जी का कहना है कि अमेरिकी कंपनियों ने उनसे इस पॉकेट वेंटिलेटर के उत्पादन और बिक्री के लिए संपर्क किया है। इसके अब तक 30 पेटेंट कराए हैं।
यह पोर्टेबल वेंटिलेटर उन लाखों कोरोना मरीजों के लिए लाभदायक होगा, जो अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर पाने में नाकाम रहते हैं। इसके साथ ही यह बेहद सस्ता भी होगा।