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झटका! महंगाई ने तोड़ा 5 महीने का रिकॉर्ड, दिसंबर में 5.59 फीसदी बढ़ी

हमें फॉलो करें झटका! महंगाई ने तोड़ा 5 महीने का रिकॉर्ड, दिसंबर में 5.59 फीसदी बढ़ी
, बुधवार, 12 जनवरी 2022 (23:06 IST)
नई दिल्ली। अनाज, दूध, अंडे सहित रसोई का सामान महंगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर, 2021 में बढ़कर 5.59 प्रतिशत हो गई। यह भारतीय रिजर्व बैंक के लिए निर्धारित ऊपरी सीमा 6 प्रतिशत के करीब पहुंच गई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर, 2021 में 4.91 प्रतिशत और दिसंबर, 2020 में 4.59 प्रतिशत थी।

रिजर्व बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर गौर करता है। सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घटबढ़ के साथ 4 प्रतिशत यानी दो प्रतिशत से छह प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।

खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर, 2021 से बढ़ रही है। जुलाई में भी महंगाई दर बढ़कर 5.59 प्रतिशत पहुंच गई थी लेकिन बाद में अगले दो महीने इसमें नरमी रही। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 4.05 प्रतिशत हो गई, जो इससे पिछले महीने 1.87 प्रतिशत थी।

खाद्य वस्तुओं में अनाज और उसके बने उत्पाद, अंडा, दूध तथा दूध के बने उत्पाद, मसाले तथा तैयार भोजन, स्नैक्स और मिठाई के मामले में महंगाई दर दिसंबर में पिछले महीने के मुकाबले अधिक रही। हालांकि सब्जियों, फल और तेल एवं वसा की महंगाई दर की रफ्तार में कमी आई।

ईंधन और प्रकाश श्रेणी में मुद्रास्फीति दिसंबर महीने में इससे पूर्व माह के मुकाबले नरम हुई, लेकिन यह अभी भी 10.95 प्रतिशत पर है। नवंबर महीने में यह 13.35 प्रतिशत थी। केंद्रीय बैंक का मानना है कि तुलनात्मक आधार प्रभाव प्रतिकूल होने की वजह से वित्त वर्ष की बची अवधि में मुद्रास्फीति का आंकड़ा ऊंचा रहेगा।

रिजर्व बैंक के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में सकल मुद्रास्फीति अपने उच्चस्तर पर होगी। उसके बाद से यह नीचे आएगी। इक्रा की मुख्य अर्थशस्त्री अदिति नायर ने कहा कि दिसंबर, 2021 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के बढ़ने का मुख्य कारण खाद्य और पेय पदार्थ के साथ कपड़ा तथा जूते-चप्पल की कीमतों में तेजी है।

उन्होंने कहा कि विविध जिंसों और आवास समेत ईंधन और प्रकाश के साथ पान, तंबाकू आदि श्रेणी में महंगाई दर में नरमी बढ़िया है। नायर ने कहा, कुल मिलाकर हमारा मानना है कि सकल उपभोक्ता मुद्रास्फीति 2021-22 की चौथी तिमाही में 5.7 से छह प्रतिशत के दायरे में रहेगी। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने इसके चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।

उन्होंने कहा कि उच्च मुद्रास्फीति लक्ष्य के साथ एमपीसी अन्य केंद्रीय बैंकों के विपरीत अपेक्षाकृत अधिक समय तक वृद्धि को गति देने का विकल्प चुन सकती है। दुनिया के कई देशों में केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए नीतिगत दरों में वृद्धि को लेकर कदम उठा रहे हैं। आरबीआई की अगली मौद्रिक नीति समीक्षा फरवरी में होगी।

ब्रिकवर्क रेटिंग्स के मुख्य आर्थिक सलाहकार एम गोविंद राव ने कहा, आपूर्ति संबंधी बाधाओं और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। उन्होंने कहा, हालांकि नवंबर के मुकाबले दिसंबर में मुद्रास्फीति में 0.68 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, पर तीसरी तिमाही की औसत मुद्रास्फीति आरबीआई के 5.3 प्रतिशत के अनुमान से नीचे बनी हुई है।(भाषा)

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