Inflation in India : देश में भले ही टमाटर के दाम कम हो गए हो आलू, प्याज के दामों में भी कमी आई हो लेकिन महंगाई थमने का नाम ही नहीं ले रही है। इस बार दाल, चावल और मसालों की बढ़ती कीमतों ने लोगों को हैरान कर दिया है। गेहूं को महंगाई से बचाने के लिए FCI ने 1.66 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेंच दिया।
बारिश की कमी से दलहन का रकबा कम हुआ है। इस वजह से दालों के दाम आसमान पर है। 1 सप्ताह में थोक में काबूली चना 4 रुपए किलो महंगा हो गया। मूंग दाल, चना दाल, मसूर दाल सभी की कीमतों से 10 से 20 प्रतिशत का उछाल आया है।
एक साल में तुअर दाल के दाम 37 प्रतिशत बढ़ गए। मूंग और उड़द की दालें में करीब 20 फीसदी महंगी हो गई। वहीं चावल के दाम करीब 9 प्रतिशत बढ़ गए। इंदौर मंडी में मंगलवार को तुअर दाल 13700 से 13800, चना दाल 8600 से 8700, मसूर दाल 7700 से 7800 रुपए, मूंग दाल 10800 रुपए प्रति क्विंटल थे।
महंगे मसालों ने बढ़ाई परेशानी : दाल, चावल के साथ ही महंगे मसालों ने भी लोगों की नाक में दम कर दिया है। जो कसूरी मैथी रिटेल में मार्च में 220 रुपए किलो थी अब 400 रुपए किलो पर पहुंच गई। काली मिर्च के दाम 550 से बढ़कर 700 रुपए पर पहुंच गए। बड़ी इलायची भी तेजी से बढ़ती हुई 1250 रुपए किलो हो गई पहले यह 850 रुपए प्रति किलो थी। लोंग भी 900 से बढ़कर 1000 रुपए पार पहुंच गई। 200 रुपए किलो की सोंफ और 160 रुपए किलो की अजवाइन भी क्रमश: 340 और 260 रुपए किलो हो गई।
निर्यात पर रोक : सरकार ने महंगाई को काबू में रखने के लिए दाल, चावल और चीनी के निर्यात पर रोक लगाई है। दालों का आयात बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया है। सरकार द्वारा किए जा रहे इन प्रयासों के बाद भी दामों का नहीं घटना चिंता का विषय है। मार्च 2024 तक तुअर, उड़द और मसूर के आयात को शुल्क मुक्त किया जा चुका है।
TOP का भी असर नहीं : हाल ही में रिजर्व बैंक के प्रमुख शक्तिकांत दास ने इंदौर में कहा था कि टॉप यानी टोमेटो, ओनियन और पोटेटो के दामों के घटने-बढ़ने से महंगाई दर पर खासा असर होता है। बहरहाल अब टमाटर के दाम नियंत्रण में है। प्याज और आलू के दाम उतने नहीं है कि लोग इन्हें खाना छोड़ दे।
सरकारी आंकड़ों में घटी महंगाई : राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार, सब्जियों तथा अन्य खाद्य सामग्री के दाम घटने से खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में घटकर 6.83 प्रतिशत पर आ गई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जुलाई में 7.44 प्रतिशत थी जबकि अगस्त, 2022 में यह 7 प्रतिशत थी।
क्या चुनावी मुद्दा बनेगा महंगाई : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत भाजपा के तमाम बड़े नेता महंगाई को मुद्दा मानने से इनकार कर चुके हैं वहीं कांग्रेस इस मामले पर सरकार को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। 2023 में मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में होने वाले विधानसभा चुनाव और इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनावों में विपक्ष इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना सकता है।