Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

एक्सप्लेनर: ममता के 'बाहरी' दांव के जवाब में अमित शाह के काउंटर प्लान की इनसाइड स्टोरी

'भाजपा' सोनार बांग्ला का ब्लू प्रिंट कैसे तैयार कर रहे अमित शाह ?

हमें फॉलो करें एक्सप्लेनर: ममता के 'बाहरी' दांव के जवाब में अमित शाह के काउंटर प्लान की इनसाइड स्टोरी
webdunia

विकास सिंह

, सोमवार, 21 दिसंबर 2020 (14:50 IST)
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव अगले साल होने हैं लेकिन बंगाल का सियासी पारा अभी से पूरी तरह उफान पर आ चुका है। बंगाल में ममता के गढ़ में सेंध‌ लगाने के लिए भाजपा ‌ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी‌ है। पिछले दो दिन गृहमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता अमित शाह बंगाल के दौरे पर रहे।

दो दिन के इस दौरे के दौरान अमित ‌शाह ने‌ ममता के गढ़‌‌ कहे जाने वाले वीरभूम के‌ बोलपुर ‌में दो‌ किलोमीटर ‌लंबा रोड शो करने के साथ और मिदनापुर में एक रैली को भी संबोधित किया। अमित शाह का यह रोड शो ममता के गढ़ से ही ममता शासन को उखाड़ फेंकने की अब तक सबसे बड़ी हुंकार थी। 
 
अमित शाह अपने इस दौरे के दौरान कदम-कदम पर बंगाल की स्थानीय संस्कृति और रीति रिवाजों को अपनाकर बंगाल के दिल में उतरने की कोशिश करते हुए दिखाई दिए। दरअसल भाजपा को अगर बंगाल की सत्ता का रास्ता तय करना है तो उसे पूरी ताकत के साथ टीएमसी के उन आरोपों को निराधार साबित करना होगा जो अपने हर मंच से भाजपा को बाहरी बताने पर जुटी हुई है। यही वजह है कि अमित शाह अपने दौरे के दौरान बंगाली अस्मिता के तमाम नायकों स्वामी विवेकानंद, खुदीराम बोस, रबींद्रनाथ टैगोर को नमन भी किया।
webdunia
रविवार को शांति निकेतन में एक घंटे से ज्यादा वक्त गुजारने के बाद अमित शाह ने कहा कि गुरुदेव ऐसी शख्सियत थे जो आजादी के आंदोलन के दौरान राष्ट्रवाद की एक धारा के प्रमुख थे. दूसरी धारा के प्रमुख बापू थे. उन्होंने कहा कि टैगौर ने साहित्य, संगीत, कला का संरक्षण किया,उन्होंने दुनिया की कई भाषाओं का अध्ययन किया और भारतीय भाषाओं से उनका सामंजस्य बिठाया।
 
अमित शाह के पहली बार शांति निकेतन आने को यहीं के विश्वभारती विश्विद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. रामेश्वर मिश्र एक सांस्कृतिक यात्रा बताते है। इसके साथ वह आगे यह भी जोड़ते है कि अमित शाह के शांति निकेतन आने का एक मतलब यह जरूर निकाला जा सकता है कि जो लोग भाजपा को बाहरी दल समझ रहे हैं और कह रहे हैं कि चुनाव के समय बाहरी लोग आ गए हैं, उनके लिए यह दौरा एक सीधा संदेश है।
 
प्रोफेसर रामेश्वर मिश्र कहते हैं कि बंगाल में चुनाव के समय जिस तरह महापुरुष राजनीति के केंद्र में आ जाते है वह पूरी तरह वोट बैंक की सियासत से जुड़ा है। सियासी दल अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए राजनेताओं के नाम को खूब भुनाने की कोशिश करते है। वह कहते हैं कि जब चुनाव पास होते है तो सियासी दलों में कहीं ना कहीं यह चेतना रहती है इनका नाम लेकर लोगों तक अपनी सीधी पहुंच बनाएं और अधिक से अधिक लोगों को पार्टी से जोड़े।

रामेश्वर मिश्र कहते हैं कि शांति निकेतन जो काफी समय से कई कारणों में चर्चा के केंद्र में रहा है। वह कहते हैं कि अमित शाह की शांति निकेतन के दौरे को सीधे तौर पर तो राजनीति से नहीं जोड़ा जा सकता है लेकिन अगर शांति निकेतन में होने वाली हर छोटी-बड़ी घटना की बहुत बड़ी प्रतिक्रिया पूरे बंगाल में होती है।
webdunia
वह कहते हैं कि शांति निकेतन में पिछले कुछ महीनों में बहुत सारी घटनाएं घटी है जिनकी चर्चा बंगाल ही नहीं पूरे देश  में हुई। यूनिवर्सिटी को दीवार से घेरने को लेकर जिस तरह से स्थानीय लोगों ने विरोध किया और उसको एक तरह से सरकार की शह थी। जिस तरह से शांति निकेतन के गेट को तोड़ दिया तो यह सभी बातें केवल शिक्षण संस्थान की नहीं रह गई, यह अब बंगाल की और पूरे भारतवर्ष की बात है।
 
वह आगे कहते हैं कि बंगाल के लोग चाहते हैं कि शांति निकेतन की जो परंपरा है और रवींद्रनाथ जी के विचार है आज भी वह महत्वपूर्ण है और लोग यह समझते हैं कि शांति निकेतन विश्व भारती को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होना चाहिए। रामेश्वर मिश्र महत्वपूर्ण बात कहते हैं कि शांतिनिकेतन में कोई भेदभाव नहीं रहता है यहां सब बराबरी के उद्देश्य से रहते हैं विश्वभारती का उद्देश्य 'राष्ट्रीय कल्याण और विश्व बंधुत्व' की भावना है। 
बाउल के घर भोजन से दिया संदेश- इतिहास में बंगाल की अपनी एक वैभवशाली संस्कृति‌ और विरासत रही है और बाउल‌‌ लोकगीत उसी गौरवशाली विरासत ‌का‌ एक हिस्सा है। आज‌ भी‌ बाउल‌ गायक अपने पारंपरिक ‌लोकगीत‌ के साथ उस विरासत को जीवंत किए हुए है। बंगाल में केवल पांच हजार आबादी वाले बाउल आज भी लोगों के मन में बसते है। इसी के चलते गृहमंत्री अमित शाह बोलपुर में बाउल गायक बासुदेब‌ दास के घर पहुंचकर‌ न उनके लोकगीत को‌ सुना बल्कि  दोपहर का खाना भी खाया।‌‌
 
शांति निकेतन के प्रोफेसर रामेश्वर मिश्र कहते हैं कि अमित शाह जिस तरह एक सामान्य बाबुल गायक के घर भोजन करने गए,वह अपील सीधे बंगाल की जनता तक पहुंचेगी कि अमित शाह जो देश के गृहमंत्री है उन्होंने घूम-घूम कर गाना बजाना करने वाले बाउल के घर में भोजन किया। वह कहते हैं कि चुनाव के समय बंगाल में भाजपा पर जो बाहरी होने का आरोप ममता और टीएमसी के नेता लगा रहे है,बाउल के घर भोजन कर अमित शाह ने एक तरह से उसका जवाब दिया है।
असल राजनीति तो वहीं है जहां दिखाई कुछ और देता है और होता कुछ और है। अमित शाह अपने बंगाल दौरे के दौरान हर कदम पर ममता के ‘आमार सोनार बंगाल’ से ‘भाजपा’ सोनार बंगला की ओर अपने कदम बढ़ाते हुए दिखाई दिए।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

ब्रिटेन में Corona का नया स्ट्रेन, हर्षवर्धन ने कहा- डरने की जरूरत नहीं