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पंजाब के पूर्व डीजीपी केपीएस गिल का निधन

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, शुक्रवार, 26 मई 2017 (16:36 IST)
चंडीगढ़/नई दिल्ली। पंजाब में आतंकवाद को नेस्तनाबूद करने में अहम भूमिका निभाने वाले 'सुपरकॉप' राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक कंवरपाल सिंह गिल का शुक्रवार को यहां निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे।
 
गिल इलाज के लिए सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराए गए थे। डॉक्टरों के अनुसार गिल के दोनों गुर्दे खराब थे और उन्हें हृदय रोग भी था। आतंकवादी हरकतों को कुचलने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले गिल दो बार राज्य के पुलिस महानिदेशक रहे। वह कड़क मिजाज के लिये भी जाने जाते थे। पूर्व पुलिस महानिदेशक 1995 में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) से सेवानिवृत्त हुए।
 
पुलिस सेवा में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए 1989 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वह भारतीय हॉकी फेडरेशन और इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट के अध्यक्ष भी रहे। गिल 1988 से 1990 तक पंजाब पुलिस महानिदेशक रहे। इसके बाद 1991 में फिर इस पद को संभाला और उन्होंने राज्य में आतंकवादी करतूतों को नियंत्रित करने में सफलता पाई।
 
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने उनके निधन पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि गिल की भूमिका को कभी पंजाब भुला नहीं पाएगा क्योंकि आतंकवाद का सफाया तथा राज्य में स्थिरता तथा शांति बहाली में उनका अहम योगदान रहा। पंजाब को काले दिनों से निकालने वाले गिल हमारे बीच भले ही न रहे हों, लेकिन उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा। सिंह ने शोकाकुल परिवार के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहा कि इस संकट की घड़ी में भगवान उन्हें इस दुख को सहन करने की शक्ति दे।
 
असम कैडर के आईपीएस अधिकारी गिल 1988 तथा 1991 से 1995 तक पंजाब के पुलिस महानिदेशक रहे। वह 1995 में सेवानिवृत्त हुए थे और उसके बाद भी विभिन्न राज्यों में अपनी सेवाएं देते रहे। पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह ने उन्हें पुलिस महानिदेशक नियुक्त कर आतंकवाद से निपटने का जिम्मा सौंपा ताकि गुमराह युवाओं को राष्ट्र की मुख्यधारा में लाया जा सके।
 
राज्य के पुलिस महानिदेशक सुरेश अरोड़ा ने गिल के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि वह एक दिलेर, साहसी और कुशल रणनीतिकार भी थे जिन्होंने आतंकवाद को बड़ी होशियारी से मात दी और पंजाब को काले दिनों से उबारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह भावी पीढ़़ी के लिए ऐसी मिसाल पेश करके गए हैं जो निरंतर प्रेरणा देती रहेगी।
 
गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2002 में उन्हें सरकार का सुरक्षा सलाहकार बनाया था। उसके बाद 2006 से 2007 तक वह छत्तीसगढ़ सरकार के सुरक्षा सलाहकार भी रहे। (वार्ता) 

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