यादें : इरफान जब बन गए थे मगरमच्छ, करीबी दोस्त के जुबानी इरफान की जिंदगी की कहानी
अभी मेरे दोस्त के जाने का वक्त ही नहीं था : आलोक चटर्जी
मशूहर अभिनेता इरफान खान हमारे बीच नहीं रहे। मुंबई को कोकिलाबेन अस्पताल में उन्होंने आज आखिरी सांस ली। इरफान के अचानक निधन से फिल्म जगत समेत उनके करीबी दोस्त बेहद दुखी है। इरफान के पढ़ाई के दिनों से उनके साथी रहे मध्यप्रदेश नाट्य अकादमी के डायरेक्टर आलोक चटर्जी को अभी भी अपने जिगरी दोस्त के इस तरह जाने पर यकीन भी नहीं हो रहा है। उन्होेंने वेबदुनिया के साथ इरफान की जिंदगी के कुछ अनछुए पहलुओं को साझा किया है।
अभी दोस्त के जाने का वक्त नहीं था - इरफान के सबसे करीबी और परिवारिक दोस्तों में शामिल वरिष्ठ रंगकर्मी आलोक चटर्जी अपने सबसे प्रिय दोस्त को याद करते हुए भावुक हो गए। वेबुदनिया ने जब आलोक चटर्जी को उनके दोस्त के निधन की खबर दी तो वह निशब्द हो गए और कहा कि मेरा सच्चा दोस्त चला गया।
वेबदुनिया से बातचीत में आलोक कहते हैं कि अभी मेरे दोस्त के जाने का कोई वक्त ही नहीं था। हम लोगों ने एक साथ इतना समय बिताया है कि उसको शब्दों में बयां ही नहीं किया जा सकता और लिखूं तो कई ग्रंथ लिख जाएंगे। आलोक चटर्जी और इरफान की दोस्ती केवल इससे समझी जा सकती है कि जब भी इरफान भोपाल आते थे तो खाना आलोक चटर्जी के घर पर ही खाते थे। इरफान की पत्नी सुतपा और आलोक चटर्जी नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में क्लासमेट थे। इरफान आलोक चटर्जी को कॉलेज के दिनों में सुतपा और अपने बीच डाकिया का काम करने वाला भी कहते थे।
जब नाराज हो गए थे इरफान -नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में पढ़ाई के दिनों से इरफान के साथी रहे आलोक चटर्जी उनसे जुड़ी यादों को वेबदुनिया से साझा करते हुए कहते हैं कि इरफान जब भी भोपाल आते तो उनके घर आकर खुद मिलते थे। भोपाल से जुड़ी इरफान की यादों को बताते हुए आलोक चटर्जी कहते हैं कि जब मकबूल की शूटिंग के इरफान भोपाल आए थे तभी मैंने उनको जहांनुमा होटल पहुंच कर मैकबेथ की स्क्रिप्ट दी थी।
वह कहते हैं कि होटल के रिस्पेशन पर स्क्रिप्ट देकर उसको इरफान तक पहुंचाने को कहा। जब होटल का स्टॉफ उनके पास पहुंचा था वह नाराज हो गए और कहा कि मेरा सबसे अच्छा दोस्त मेरे लिए स्किप्ट लेकर आया था और तुम लोगों ने उनसे मिलने नहीं दिया वह नाराज हो गया होगा। हलांकि आलोक होटल में ही थे और उन्होंने तुरंत अपने दोस्त से मिलकर उसके गुस्से को ठंडा किया।
इरफान जब बने मगमच्छ - वेबदुनिया से इरफान से जुड़ी एनएसडी की यादों को साझा करते हुए कहते हैं कि जब हम एनएसडी में पढ़ रहे थे तब हमारे डायरेक्टर मोहन महर्षि ने एक दिन हम सभी को रियलिस्टिक क्लास में सभी को किसी भी जानवर की तरह एक्टिंग करने को कहा।
इस दौरान इरफान फर्श पर लेट कर आराम करने लगे और दस मिनट तक नहीं उठे। इस पर उनसे पूछा गया कि यह कौन सा जानवर हैं जो हिल-ढुल भी नहीं रहा है इरफान ने कहा कि मैं मगरमच्छ बना था जो धूप में आराम कर रहा था। इरफान के इतना कहते ही हम सभी दोस्त और खुद डायरेक्टर मोहन महर्षि भी अपनी हंसी नहीं रोक पाए। इरफान एनएसडी में ऐसी कई शररातें कि जो आज भी हम सभी सथियों के मन में ताजा है।
किसी की नजर लग गई – अपने दोस्त को याद करते हुए आलोक चटर्जी कहते हैं कि उनके दोस्त ने इतने कम समय में जितनी शोहरत हासिल कर ली थी उसको देखते हुए लगता है कि किसी की नजर मेरे दोस्त को लग गई थी। वह कहते हैं कि इरफान एक गंभीर अभिनेता थे और हिंदी सिनेमा में उनके योगदार को भुलाया नहीं जा सकता।