Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

क्या मोदी के फिर प्रधानमंत्री बनने से भारत के मुसलमान डरे हुए हैं?

Advertiesment
हमें फॉलो करें क्या मोदी के फिर प्रधानमंत्री बनने से भारत के मुसलमान डरे हुए हैं?
, बुधवार, 26 जून 2019 (14:46 IST)
झारखंड में एक मुस्लिम युवक के साथ हुई मॉब‍ लिंचिंग की घटना के बाद एक बार फिर यह सवाल उठने लगा है कि क्या नरेन्द्र मोदी के फिर प्रधानमंत्री बनने से भारत के मुसलमान डरे हुए हैं। मोदी के पिछले कार्यकाल में यह सवाल काफी जोर-शोर से उठा था, खासकर लोकसभा चुनाव से पहले ने विरोधियों ने मोदी की छवि मुस्लिम विरोधी बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
 
इसमें कोई संदेह नहीं कि नरेन्द्र मोदी के दामन पर गोधरा कांड के बाद हुए गुजरात दंगों के दाग हैं। मोदी उस समय गुजरात के मुख्‍यमंत्री थे। इस घटना के बाद से मोदी की छवि कट्‍टर मुस्लिम विरोधी की बन गई। इसके साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से भी उनका पुराना नाता रहा है। आरएसएस की छवि भी मुस्लिम विरोध मानी जाती है। हालांकि नरेन्द्र मोदी ने व्यक्तिगत रूप से कभी मुस्लिम विरोधी बयान नहीं दिया, फिर भी वे अपनी मुस्लिम विरोधी छवि से पिंड नहीं छुड़ा पाए। 
 
नरेन्द्र मोदी एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बन गए हैं और मुस्लिम विरोधी होने का सवाल रूपी जिन्न फिर से बोतल से बाहर आ गया है। जब मोदी मुख्‍यमंत्री थे तो वे 5 करोड़ गुजरातियों की बात करते थे और अब जब वे प्रधानमंत्री बन गए हैं तो हिन्दू-मुस्लिमों की बजाय वे 130 करोड़ देशवासियों की बात करते हैं। 
 
दूसरी ओर लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष पर तंज कसते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हिन्दू बहुल क्षेत्र से राहुल गांधी डरे हुए हैं। वे केरल की वायनाड सीट से भी लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं, क्योंकि हिन्दुओं की तुलना में वहां अल्पसंख्यक वोटरों की संख्या ज्यादा है। राहुल के साथ पहली बार ऐसा हुआ जब वे अमेठी से चुनाव हारे। वायनाड के रास्ते जरूर वे लोकसभा पहुंचने में सफल रहे। 
 
हालांकि बड़े मुल्ला-मौलवियों को छोड़ दें तो आम मुस्लिम मोदी को लेकर बहुत बुरी राय नहीं रखता। लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी के बागपत क्षेत्र में एक टीवी चैनल से चर्चा करते हुए कुछ मुस्लिमों ने साफ कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अच्छे हैं और उन्हें फिर से प्रधानमंत्री बनना चाहिए। लेकिन, उनका कहना यह भी था कि तीन तलाक के मुद्दे पर सरकार को दखल नहीं देना चाहिए। मौलाना जो भी फैसला देंगे, हमें मान्य होगा। 
 
ऐसा भी नहीं है कि मोदी ने मुसलमानों को रिझाने के लिए कुछ भी न किया हो। एक ओर 3 तलाक के मुद्दे पर जहां उन्होंने मुस्लिम महिलाओं का समर्थन हासिल किया, वहीं इंदौर में बोहरा मस्जिद में जाकर समग्र विकास और पूरे देश की खुशहाली की बात की। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि मुस्लिम युवाओं के एक हाथ में कुरान हो तो दूसरे में कंप्यूटर। इससे ही देश तरक्की की राह पर आगे बढ़ पाएगा। हाल ही में मोदी सरकार-2 ने ईद के मौके पर अल्पसंख्यकों के लिए स्कॉलर‍शिप की घोषणा की थी। इसका फायदा निश्चित ही सभी को मिलेगा।
 
इस सबके बावजूद लगता नहीं कि मोदी को अभी इस सवाल से निजात मिलेगी। मुस्लिम वोट बैंक की खातिर समय-समय पर इस तरह के सवाल उठते रहेंगे। यह सवाल इसलिए भी उठते हैं, क्योंकि मोदी को लेकर मुसलमानों में अभी भी विश्वास की कमी है, जो मोदी के लिए बड़ी चुनौती भी है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कैलाश पुत्र MLA आकाश विजयवर्गीय ने निगम अधिकारी को बल्ले से पीटा (वीडियो)