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कश्मीर में 4 जिले निशाने पर, ISI ने दिए तबाही मचाने के निर्देश

हमें फॉलो करें कश्मीर में 4 जिले निशाने पर, ISI ने दिए तबाही मचाने के निर्देश

सुरेश एस डुग्गर

, शुक्रवार, 1 नवंबर 2019 (16:40 IST)
जम्मू। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, कश्मीर में 500 से अधिक आतंकी हैं। इनमें से 200 से ज्यादा पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकी हैं। इनमें से अधिकांश विदेशी आतंकियों की अगुआई में अलग-अलग गुटों में आतंकी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। दक्षिण कश्मीर के 4 जिलों शोपियां, कुलगाम, पुलवामा और अनंतनाग में ही सबसे ज्यादा आतंकी सक्रिय हैं और अधिकारियों के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना की खुफिया संस्था ने आतंकियों को इन्हीं चार जिलों को निशाना बनाने का निर्देश दिया है।

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि आईसआई ने अपनी साजिश को अमलीजामा पहनाने के लिए घाटी में विदेशी आतंकियों को विभिन्न संगठनों की कमान संभालने को कहा है। यह स्थानीय आतंकियों से कहीं ज्यादा क्रूर हैं। हालांकि सेना का कहना है कि इससे पहले कि यह अपनी साजिश को और आगे बढ़ाएं, हमने उन्हें मार गिराने के लिए विशेष अभियान चला रखे हैं।

बताया जा रहा है कि हिजबुल मुजाहिदीन के उस डिवीजन कमांडर की भी तलाश तेज कर दी है जिसने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के साथ मिलकर बाहरी ट्रक चालकों की हत्या की वारदातों को अंजाम दिया है। उसने ही कुछ समय पहले चेतावनी दी थी कि यदि कुछ बड़ी घटना घटी, तो उसके आदमी गैर-कश्मीरी नागरिकों को निशाना बनाना शुरू करेंगे। उसने एक ऑडियो संदेश में कहा था कि कश्मीर में मौजूद बाहरी लोग हमारे निशाने पर होंगे।

श्रीनगर स्थित खुफिया तंत्र के वरिष्ठ अधिकारियों ने दावा किया है कि इस्लामाबाद इस समय कश्मीर और गैर कश्मीरियों के बीच दूरी पैदा करना चाहता है। अब वह केंद्र शासित कश्मीर में भारत के अन्य हिस्सों के लोगों का आना पूरी तरह बंद कराना चाहता है। उन्होंने बताया कि बीते एक माह के दौरान एलओसी के पास आतंकियों के कई रेडियो संदेश पकड़े गए हैं।

इनमें नवगठित केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में शांति प्रक्रिया को पटरी से उतारने की पाकिस्तान की खतरनाक साजिश का खुलासा हुआ है। इस साजिश को पाकिस्तानी सेना और आईएसआई ने मिलकर तैयार किया है। जम्मू कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कश्मीर में आतंकियों द्वारा दूसरे राज्यों के लोगों को निशाना बनाए जाने की रची गई साजिश 1990 में कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की हत्याओं व उनके सामूहिक पलायन की याद दिलाती है।

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