हैदराबाद। इसरो ने चांद पर भेजे जाने वाले अपने अगले मिशन चन्द्रयान-2 के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। वैज्ञानिक अभी लैंडर तथा रोवर के लिए परीक्षण कर रहे हैं, जो चन्द्रमा की सतह का अध्ययन करेंगे।
अधिकारियों ने बताया कि अंतरिक्ष यान को जीएसएलवी-एमके 2 से मार्च में प्रक्षेपित किया जाना है और मिशन की जरूरतों को पूरा करने के लिए कई प्रौद्योगिकियों को देश में ही विकसित किया गया है।
चांद पर भेजे जाने वाला चन्द्रयान-2 भारत का दूसरा मिशन है, जो 9 साल पहले चांद पर भेजे गए चन्द्रयान-1 मिशन का उन्नत संस्करण है। यह अंतरिक्ष यान ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर का संयोजित मॉडल है। बेंगलुरु की अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार चन्द्रयान-1 से अलग चन्द्रयान-2 में रोवर के साथ सॉफ्ट लैंडर भी होगा, जो चांद की सतह पर अगले स्तर के वैज्ञानिक अध्ययन करेगा।
इसरो के चेयरमैन एएस किरन कुमार ने कहा कि तैयारियां चल रही हैं। ऑर्बिटर तैयार हो रहा है। फ्लाइट इंटीग्रेशन एक्टिविटी चल रही है और लैंडर तथा रोवर के लिए कई परीक्षणों की योजना है। कार्य प्रगति पर है और हम 2018 की पहली तिमाही में चन्द्रयान-2 के प्रक्षेपण पर काम कर रहे हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चांद पर लैंडर के उतरने के लिए चांद जैसे भू-भाग पर परीक्षण करने की सुविधा भी बनाई।
किरन कुमार ने कहा कि यह पूरी तरह से भारतीय मिशन है, इसमें किसी और का सहयोग नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि चांद पर लैंडर के उतरने के बाद रोवर बाहर आएगा और वह मूल स्थान का अवलोकन करेगा तथा हम रेडियो संपर्क के जरिए इन अवलोकनों की जानकारी प्राप्त कर पाएंगे। (भाषा)