मौसम विज्ञानियों के अनुसार इस बार ला नीना प्रभाव के कारण इस बार पड़ेगी कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना है तथा इस बार उत्तर-पूर्व एशिया में कड़ाके की ठड़ पड़ सकती है और इससे क्षेत्र में ऊर्जा संकट बढ़ने की भी आशंका जताई जा रही है। भारत में जनवरी और फरवरी में देश के कुछ उत्तरी इलाकों में तापमान 3 डिग्री सेल्सियस तक नीचे जा सकता है।
मौसम की इस स्थिति के लिए ला नीना को जिम्मेदार बताया जा रहा है। प्रशांत क्षेत्र में ला नीना उभर रहा है। आमतौर पर इसका अर्थ है कि उत्तरी गोलार्द्ध में तापमान का सामान्य से कम रहना। इस स्थिति ने क्षेत्रीय मौसम एजेंसियों को कड़ाके की सर्दी के बारे में चेतावनी जारी करने के लिए प्रेरित किया है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, कई देश खासकर चीन ईंधन की ऊंची कीमतों और बिजली के संकट से जूझ रहे हैं। कोयले और गैस के दाम पहले से ऊंचाई पर हैं। ऐसे में कड़ाके की ठंड से इन चीजों की मांग और बढ़ेगी। पूरे उत्तर-पूर्व एशिया में इस बार सर्दी में तापमान सामान्य से कम रहेगा।
जलवायु परिवर्तन के कारण आर्कटिक के कारा सागर में समुद्री बर्फ की कमी हो गई है, जो क्षेत्र में उच्च दबाव से छुटकारा पाने में योगदान दे सकता है। यह पूरे उत्तर-पूर्व एशिया में कड़ाके की ठंड की ओर इशारा करता है, जैसे पिछले साल सर्दियों में हुआ था।