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आईटीआई वालों को मिलेगा CBSE बोर्ड परीक्षा के बराबर दर्जा

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नई दिल्ली , रविवार, 28 मई 2017 (15:19 IST)
नई दिल्ली। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) से मैकेनिक, कारपेंटर अथवा फिटर जैसे विभिन्न व्यावसायिक कार्यों का प्रशिक्षण लेकर निकलने वाले छात्रों को आने वाले समय में 10वीं अथवा 12वीं के समकक्ष पढ़ाई का दर्जा प्राप्त होगा और उसके आधार पर वे आगे स्नातक, इंजीनियरिंग अथवा दूसरी पढ़ाई भी कर सकेंगे। सरकार इस व्यवस्था को अमली जामा पहनाने के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से बात कर रही है।
 
कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय को उम्मीद है कि 2018-19 के शिक्षा सत्र से यह व्यवस्था अमल में आ जाएगी। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि उनका मंत्रालय आईटीआई की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रयासरत है। 
 
अभी आईटीआई से निकले युवकों को इसके प्रमाण-पत्र के आधार पर आगे सामान्य पढ़ाई या बीए, बीकॉम अथवा बीएससी या फिर इंजीनियरिंग अथवा बीबीए आदि पाठ्यक्रमों में प्रवेश का अवसर नहीं मिलता। अभी तक यह मान लिया जाता है कि आईटीआई प्रशिक्षण के बाद वे युवा उसी काम में जाएंगे जिसमें उन्हें प्रशिक्षित किया गया है।
 
रूडी ने कहा कि हमारे मंत्रालय ने इस परेशानी को समझा है और इस दिशा में हम सीबीएसई से बात कर रहे हैं। इसमें 3 विषय वे होंगे जिन्हें आईटीआई पढ़ाता है और 2 विषय बोर्ड की तरफ से दिए जाएंगे जिन्हें संबंधित छात्र को पास करना होगा। इसमें एक भाषा का विषय और दूसरा अन्य विषय होगा। ऐसी व्यवस्था का विचार है कि अभ्यर्थी जिन विषयों को आईटीआई में पढ़ रहा है उसके 60 प्रतिशत अंक रखे जाएंगे और शेष 40 प्रतिशत अंक बोर्ड द्वारा दिए गए 2 विषय के होंगे। 
 
केंद्र की सत्ता में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के 3 साल पूरे होने के मौके पर अपने मंत्रालय की उपलब्धियों को गिनाते हुए रूडी ने कहा कि ऐसी ही व्यवस्था के लिए हमने 'नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग' (एनआईओएस) के साथ सहमति ज्ञापन किया गया है। 
 
उन्होंने कहा कि इसमें 8वीं पास के बाद 2 साल का आईटीआई कोर्स करने वालों को सेकंडरी स्कूल के बराबर और 10वीं के बाद 2 साल का आईटीआई कोर्स करने वाले छात्रों को सीनियर सेकंडरी यानी 12वीं पास के बराबर का दर्जा प्राप्त होगा। एनआईओएस के साथ समझौते तहत 14 आईटीआई से करीब 500 आईटीआई छात्रों का पहला बैच दिसंबर 2016 में हुई परीक्षा में बैठा जिसमें से करीब 450 छात्र उत्तीर्ण हुए।
 
रूडी ने कहा कि उनका मंत्रालय अभी सिर्फ ढाई साल पुराना है। यह मंत्रालय 9 नवंबर 2014 को बनाया गया। देशभर में कौशल विकास के लिए किए जा रहे तमाम प्रयासों को मंत्रालय के तहत लाया गया है। इस छोटी सी अवधि में उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया है और विभाग को पहचान दिलाने के लिए कई कार्य किए हैं। 
 
‘कौशल’ की परिभाषा से लेकर उसके मानक तय करने, कौशल किसके लिए हो, कैसे हो, उसके मानक क्या हों, कितनी अवधि हो और कौन-कौन-से पाठ्यक्रम हों, आकलन की क्या व्यवस्था हो, इन तमाम चीजों को तय किया जाना था जिसमें हमने काफी हद तक सफलता पाई है। (भाषा)


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