नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा कि केंद्र ने कश्मीर में सभी पक्षों से बातचीत करने के लिए वार्ताकार नियुक्त करने की जो घोषणा की है, वह महज ‘प्रचार’ के लिए की गई है तथा उसे सरकार की ‘नीयत पर शक है।’ बहरहाल, पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया कि वह सभी पक्षों के साथ बातचीत के पूरी तरह से पक्ष में है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि भाजपा सरकार पिछले साढ़े तीन साल से जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों का पीछा करने की नीति पर चल रही है। अब उसने सभी पक्षों से बातचीत के लिए वार्ताकार नियुक्त करने का कदम उठाया है।
उन्होंने कहा कि हम वार्ता के विरोध नहीं है, किंतु हमें सरकार की नीयत पर शक है। उन्होंने कहा कि सरकार की यह घोषणा महज ‘प्रचार’ के लिए है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्षी नेता संसद के भीतर और बाहर यह कहते आ रहे हैं कि कश्मीर एक राजनीतिक मुद्दा है और उसका समाधान सभी पक्षों से बातचीत करके ही निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मामले में अपने पूरे साढ़े तीन साल बर्बाद कर दिए।
आजाद ने कहा कि सरकार ने यदि सभी पक्षों से बातचीत करने का फैसला पहले कर लिया होता तो कई सैनिकों और नागरिकों की बेशकीमती जान नहीं जाती। साथ ही कई मासूम बच्चों को पैलेट गन के कारण अपनी आंखें नहीं गंवानी पड़ती।
उन्होंने कश्मीर के बारे में सरकार की ताजा घोषणा के बारे में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में संवाददातओं को यह दो शेर सुनाए- तमन्नाओं में उलझाया गया हूं, खिलौनों देकर बहलाया गया हूं’’ तथा ‘सब कुछ लुटाकर होश में आए तो क्या किया, दिन में अगर चिराग जलाए तो क्या किया।’ उन्होंने कहा कि कश्मीर मुद्दे पर सरकार की नीति इन शेरों में बखूबी बयां हो रही है।
केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कल कहा था था कि कश्मीर मुद्दे का समाधान निकालने के लिए सरकार द्वारा सतत वार्ता शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि खुफिया ब्यूरो (आईबी) के पूर्व प्रमुख दिनेश्वर शर्मा जम्मू-कश्मीर में सभी पक्षों से बातचीत शुरू करने के लिए केंद्र सरकार के प्रतिनिधि होंगे।
शर्मा भारतीय पुलिस सेवा के 1979 बैच के (सेवानिवृत्त) अधिकारी हैं और वह दिसंबर 2014 एवं 2016 के बीच आईबी के निदेशक रहे थे। सिंह से यह पूछे जाने पर कि क्या शर्मा हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से भी बातचीत करेंगे, उन्होंने कहा कि शर्मा ही यह तय करेंगे कि किसके साथ बातचीत की जाए। (भाषा)