प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया तेज गति से पूरी होनी है ताकि वहां विधानसभा चुनाव कराए जा सकें और एक निर्वाचित सरकार का गठन हो सके जो प्रदेश के विकास को मजबूती दे। मोदी ने संदेश दिया कि जम्मू-कश्मीर से दिल्ली और दिल की दूरी कम होगी।
जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ सर्वदलीय बैठक के बाद प्रधानमंत्री ने सिलसिलेवार ट्वीट कर यह भी कहा कि सरकार की प्राथमिकता केंद्रशासित प्रदेश में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है।
सर्वदलीय बैठक को जम्मू-कश्मीर को विकसित और प्रगतिशील प्रदेश के रूप में विकसित करने के जारी प्रयासों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है।
उन्होंने कहा किपरिसीमन तेज गति से होना है ताकि जम्मू-कश्मीर में चुनाव हो सकें और वहां एक चुनी हुई सरकार मिले जिससे राज्य के चौतरफा विकास को मजबूती मिले।
बैठकर चर्चा करने और विचारों के आदान प्रदान को लोकतंत्र की बड़ी मजबूती करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंने जम्मू-कश्मीर के नेताओं से कहा कि लोगों को, विशेषकर युवाओं को जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक नेतृत्व प्रदान करना है और उनकी आकांक्षाओं की पूर्ति सुनिश्चित करना है।
इससे पहले, सर्वदलीय बैठक में शामिल अधिकांश राजनीतिक दलों ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और जल्द से जल्द विधानसभा का चुनाव संपन्न कराने की मांग उठाई।
पिछले लगभग 2 सालों में पहली बार जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेतृत्व के साथ वार्ता का हाथ बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इस केंद्रशासित प्रदेश के भविष्य की रणनीति का खाका तैयार करने के लिए वहां के 14 नेताओं के साथ यह अहम बैठक की।
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान हटाए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद यह पहली ऐसी बैठक है जिसकी अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री मोदी ने की।
बंद कमरे में हो रही है पाकिस्तान से बात : नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि एक मुलाकात से दिल की दूरी कम नहीं होगी। फिर भी दिल्ली और दिल की दूरी कम करने की पहल अच्छी है। पाकिस्तान से बातचीत के सवाल पर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पड़ोसी देश है, बातचीत भी होनी चाहिए और मुझे लगता है कि पाकिस्तान से बंद कमरे में बातचीत हो भी रही है।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री से कहा कि अच्छा होता इस तरह की बैठक अगर 5 अगस्त 2019 से पहले भी बुलाई गई होती, क्योंकि जो फैसले लिए गए थे वो वहां के लोगों और चुने हुए नुमाइंदों की राय लिए बिना किए गए। लेकिन जो हुआ सो हुआ। हमें प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के सामने अपनी बात रखने का मौका मिला, क्योंकि इस मीटिंग में कोई एजेंडा नहीं था इसलिए खुलकर हमने अपनी बातें सामने रखीं।
महबूबा ने अलापा पाकिस्तान का राग : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोग 5 अगस्त की घटना के बाद बहुत गुस्से में हैं। उन्होंने कहा कि पीएम से बातचीत अच्छे माहौल में हुई। महबूबा ने कहा कि जिस तरीके से अनुच्छेद 370 को हटाया गया वह गैरकानूनी है। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि लोगों की भलाई के लिए पाकिस्तान से भी बातचीत होनी चाहिए।
राज्य का दर्जा बहाल करना जरूरी : नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कर विश्वास कायम करने की दिशा में काम किया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में यहां आयोजित महत्वपूर्ण बैठक के तुरंत बाद पीटीआई से अब्दुल्ला ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जे को समाप्त किए जाने को वह कानूनी एवं संवैधानिक माध्यम से चुनौती देते रहेंगे।
लोकसभा सदस्य अब्दुल्ला ने कहा कि विश्वास खत्म हो गया है और उसे तुरंत बहाल करने की जरूरत है और उसके लिए केंद्र को जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली की दिशा में काम करना चाहिए। करीब तीन घंटे चली बैठक के बाद उन्होंने कहा कि मैंने प्रधानमंत्री से कहा कि राज्य के दर्जे का मतलब है कि जम्मू-कश्मीर के आईएएस और आईपीएस कैडर को भी वापस करना। पूर्ण राज्य होना चाहिए। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने कहा कि केंद्र के लिए यह महत्वपूर्ण है कि जम्मू-कश्मीर की पहचान जल्द बहाल करे ताकि अन्य लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाया जा सके।