अहमदाबाद। गुजरात सरकार ने अहमदाबाद के ऐतिहासिक भगवान जगन्नाथ मंदिर की सालाना रथ यात्रा को इस बार कई शर्तों के साथ निकालने की मंज़ूरी दे दी है। इससे पूर्व हर साल की तरह कौमी एकता की शानदार मिसाल पेश करते हुए स्थानीय मुस्लिम समुदाय के नेताओं ने आज मंदिर के महंत को चांदी से बना रथ सौंपा।
मुस्लिम समुदाय ने हर साल की तरह इस बार भी महंत दिलीप दास को चांदी का रथ सौंपा। परम्परा के अनुरूप आज मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेता मंदिर में तीनों रथों की पूजा करेंगे और प्रसाद ग्रहण करेंगे। शाम की आरती में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी शिरकत करेंगे।
कल इस भव्य मंदिर में नेत्रोपचार पूजा की विधि विधान सभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी और गृह राज्य मंत्री प्रदीपसिंह जाडेजा द्वारा पूरी की गई थी।
मान्यताओं के अनुसार अपने मौसी के घर प्रवास में आम बहुतायत में खाने से भगवान के आँख में कुछ समस्या हो जाती है इसलिए वापस लौटने उनके सांकेतिक उपचार के लिए विग्रहों की आंखों पर पट्टियां लगा दी जाती हैं।
ओड़िशा की पुरी की रथ यात्रा का बाद देश में दूसरी सर्वाधिक इस रथ यात्रा के 143 वें वार्षिक संस्करण का पिछले साल कोरोना के चलते गुजरात हाई कोर्ट के आदेश के मद्देनजर विधिवत आयोजन नहीं हो सका था। तब केवल मंदिर परिसर में ही रथ यात्रा का सांकेतिक आयोजन भर किया गया था।
144 वीं रथ यात्रा के कल के आयोजन को राज्य सरकार ने शर्तों के साथ मंज़ूर दी है। क़रीब 14 किमी लम्बे यात्रा मार्ग के पूरे इलाक़े में यानी सात थाना क्षेत्रों में कर्फ़्यू रहेगा। इस दौरान प्रसाद वितरण नहीं होगा।
अहले सुबह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हर साल की तरह मंगला आरती में भाग लेंगे। रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के तीन रथनुमा वाहन और मंदिर महंत का वाहन समेत केवल पांच वाहन ही भाग ले सकेंगे।
इस दौरान ट्रकों, भजन मंडलियों, अखाड़ाओं, हाथी आदि को भाग लेने की अनुमति नहीं होगी। रथ को खींचने वाले खलासियों के लिए पूर्ण में कम से कम टीके की एक डोज़ और अधिकतम 48 घंटे पुराना नेगेटिव कोरोना आरटी पीसीआर रिपोर्ट लाना अनिवार्य होगा।
रथ यात्रा की सुबह सात बजे शुरुआत से पहले मंदिर में सोने की झाड़ू लगाने की पहिंद विधि मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल करेंगे। पूरी यात्रा कोरोना प्रोटकाल के अनुरूप होगी।
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब राज्य सरकार कोरोना की तीसरी लहर को टालने के लिए पूर्व प्रबंध में लगी है, रथ यात्रा को इस तरह से आयोजित किया जा रहा है। रथ यात्रा मार्ग पर पुलिस की व्यापक व्यवस्था और तैनाती होगी। 15 ड्रोन कैमरे और सीसीटीवी के ज़रिए भी निगरानी की जाएगी।
ज्ञातव्य है कि गुजराती कैलेंडर के हिसाब से आषाढी बीज यानी आषाढ़ माह की दूसरी तिथि को निकलने वाली अहमदाबाद की रथ यात्रा में आम दिनों में लाखों श्रद्धालु शिरकत करते हैं।
यात्रा पुराने शहर के जमालपुर स्थित मंदिर से अहले सुबह निकल कर सरसपुर में भगवान के मौसी के घर जाती है और दोपहर को वह थोड़ी देर विश्राम (जब वह लाखों लोगों को भोजन जैसा प्रसाद दिया जाता है) के बाद देर शाम तक वापस लौटती है। इस दौरान लाखों लोगों का हुजूम सड़क पर रहता है। यात्रा मार्ग के साम्प्रदायिक रूप से बेहद संवेदनशील होने के कारण सुरक्षा के लिए हज़ारों पुलिसकर्मियों और अर्धसैनिक बलों की तैनाती भी की जाती है। पूर्व में रथ यात्रा के दौरान साम्प्रदायिक हिंसा की भी घटनाएं होती रही हैं।
इस बार पूरी यात्रा मात्र क़रीब 5 घंटे में पूरी हो जाएगी और यह दोपहर क़रीब 12 बजे तक निज मंदिर लौट आएगी। सरकार ने लोगों से यात्रा का लाइव प्रसारण देखने की अपील भी की है। वडोदरा तथा कुछ अन्य शहरों में भी रथ यात्राओं के आयोजन को सशर्त मंज़ूरी दी गई है। (वार्ता)