Congress questions PM Modi : कांग्रेस ने रविवार को सरकार पर पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाकर लोगों को लूटने का आरोप लगाते हुए जवाबदेही तय करने का आह्वान किया। पार्टी ने मांग की कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को यह ऑडिट करना चाहिए कि सरकारी नीतियों से निजी कंपनियों को किस तरह फायदा हुआ? केंद्रीय सतर्कता आयोग और सीबीआई को यह भी पता लगाना चाहिए कि क्या इसमें जानबूझकर लापरवाही या मिलीभगत की गई थी।
कांग्रेस के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा, भारत की जनता लूटी जा रही है। मोदी सरकार एक तरफ कर का बोझ बढ़ाकर जहां जनता की जेब काट रही है, वहीं दूसरी तरफ निजी व सरकारी तेल कंपनियां मुनाफा कमा रही हैं! यह खुला आर्थिक शोषण है!
उन्होंने लिखा, सच्चाई यह है: मई 2014 में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 9.20 रूपए और डीजल पर 3.46 रुपए था, जो मोदी सरकार में पेट्रोल पर 19.90 रुपए और डीजल पर 15.80 रुपए है। 357 प्रतिशत और 54 फीसद बढ़ोतरी!
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि सरकार ने पिछले 11 वर्षों में पेट्रोलियम क्षेत्र से 39.54 लाख करोड़ रुपए कमाए, फिर भी उसने लोगों को कोई राहत नहीं दी। सरकारी कंपनियों के साथ-साथ निजी तेल कंपनियों को भी रिफाइनिंग और विपणन से मोटी कमाई हो रही है, जबकि आम आदमी महंगे पेट्रोल-डीजल के बोझ तले दबा है।
रमेश ने कहा कि मुद्दा गंभीर है! सीएजी को ऑडिट करना चाहिए कि किस तरह सरकार की नीतियों ने इन निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाया। सीवीसी और सीबीआई को इसकी जांच करनी चाहिए कि क्या इसमें जानबूझकर लापरवाही या मिलीभगत थी? जनता के पैसे का हिसाब चाहिए — जवाबदेही तय होनी चाहिए!
कांग्रेस महासचिव ने मीडिया में आई एक खबर साझा की, जिसमें कहा गया है कि तेल कंपनियां बड़ा लाभ कमा रही हैं, लेकिन फिर भी दाम नहीं घटा रही हैं।
कांग्रेस ने पिछले सप्ताह पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी को लेकर सरकार पर कटाक्ष किया था और राहुल गांधी ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आखिरकार (अमेरिकी) "शुल्क" का करारा जवाब दिया है। उन्होंने ने यह भी कहा था कि महंगाई से परेशान लोगों को "सरकारी लूट" का एक और तोहफा दिया गया है।
सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 2-2 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है। पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाकर 13 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपए प्रति लीटर कर दिया गया है।
edited by : Nrapendra Gupta