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जियो-एरिक्सन ने किया कमाल, ड्रोन से कार तक दिखाई 5G की ताकत

हमें फॉलो करें जियो-एरिक्सन ने किया कमाल, ड्रोन से कार तक दिखाई 5G की ताकत
नई दिल्ली , गुरुवार, 25 अक्टूबर 2018 (22:15 IST)
नई दिल्ली। दिल्ली में बैठे-बैठे मुंबई में कार को चलाना हो या फिर दूर बैठकर ऐसे ड्रोन को उड़ाना हो जो चेहरा पहचानने की क्षमता से लैस हो, 5जी तकनीक से स्वप्न सरीखे लगने वाले इस तरह के काम सच हो चुके हैं। रिलायंस जियो ने गुरुवार को भारतीय मोबाइल कांग्रेस में 5जी दूरसंचार नेटवर्क प्रौद्योगिकी के भविष्य में ऐसे कई संभावित उपयोग का प्रदर्शन किया। 
 
मुकेश अंबानी की कंपनी जियो ने एरिक्सन के साथ मिलकर भारतीय मोबाइल कांग्रेस के पहले दिन एयरोसिटी से 5जी तकनीक के जरिए एक कार को चलाकर दिखाया जो दिल्ली से 1388 किलोमीटर दूर मुंबई में रिलायंस कॉरपोरेट पार्क में खड़ी थी।
 
इस दौरान एक ऐसे ड्रोन का भी संचालन करके दिखाया गया जो 5जी के बदौलत शक्तिशाली सुरक्षा निगरानी तथा आसमान से खतरों की पहचान करने में सक्षम है।
 
जियो ने दावा किया कि 5जी नेटवर्क की क्षमता 4जी की तुलना में 10 गुना प्रभावी हो सकती है। उसने कहा कि किसी स्वायत्त वाहन को रिमोट कंट्रोल से चलाया जा सकता है। यह स्वचालित कारों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण वृद्धि कर सकता है।
 
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कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि जियो और एरिक्सन ने कई गीगाबाइट की स्पीड तथा बेहद कम विलंब क्षमताओं का प्रदर्शन कर 5जी की शक्ति का परीक्षण किया। इनके जरिए भारी मशीनों का कहीं दूर बैठे नियंत्रण तथा 360डिग्री (सभी कोण से) 4के (उच्च गुणवत्ता) वीडियो प्रसारण संभव हो रहा है। 4के वीडियो में एक सेकेंड में चार हजार फोटो बदल जाते हैं।
 
उन्होंने कहा कि 5जी भले ही 4जी नेटवर्क से एक कदम आगे की चीज लगती हो लेकिन इसमें इससे कहीं अधिक खासियत हैं। यह सेल्यूलर नेटवर्क में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है तथा संचार एवं संवाद का अबाध माध्यम मुहैया करा सकता है।
 
प्रदर्शन के दौरान जियो टीम ने एक ब्लैकआउट परीक्षण भी किया। इसके तहत वाहन चालक ने वर्चुअल रियलिटी से जुड़े कुछ चश्मे पहनकर कार चलाकर दिखाया। चालक इस दौरान पूरी तरह से कार में लगे कैमरे के वीडियो पर निर्भर था।
 
5जी से सैल एक ड्रोन के जरिए यह दिखाया गया कि चेहरा पहचानने की तकनीक से किस तरह तत्काल किसी खतरे की पहचान संभव है।
 
5जी तकनीक का टेलीमेडिसिन में भी इस्तेमाल कर दिखाया गया। इस तकनीक के जरिए दूर बैठे किसी मरीज की बीमारी का मूल्यांकन, पहचान और क्लिनिकल निदान संभव है।
 
अधिकारियों ने कहा कि आने वाले समय में वर्चुअल रियलिटी एवं अन्य तकनीक पर आधारित ऐसे यंत्र उपभोक्ताओं को देखने को मिलेंगे जो अभी बन नहीं सके हैं। (भाषा) 

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