Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कौन हैं के. परासरण जिन्‍हें पूरे देश में कहा जा रहा ‘श्रीराम के हनुमान’

हमें फॉलो करें कौन हैं के. परासरण जिन्‍हें पूरे देश में कहा जा रहा ‘श्रीराम के हनुमान’
webdunia

नवीन रांगियाल

जब अयोध्‍या में राम जन्‍मभूमि‍ का पूजन हो रहा था तो देशभर से आ रही खुशी की तस्‍वीरों में एक तस्‍वीर ऐसी थी, जिसमें एक शख्‍स अयोध्‍या के दृश्‍य को ठीक वैसे ही देख रहा था, जैसे हनुमान जी भगवान श्रीराम को पूरी आस्‍था और श्रद्धा के साथ नि‍हारते हैं।

यह तस्‍वीर है राम जन्‍मभूमि‍ का पक्ष रखने वाले और अदालत में यह प्रकरण लडने वाले वरि‍ष्‍ठ वकील के परासरण का।

जिस वक्‍त हजारों लोग अयोध्‍या में मौजूद थे और लाखों लोग टीवी पर इस एति‍हासि‍क दिन के गवाह बन रहे थे उस वक्‍त के परासरण अपने घर पर परिवार के साथ टीवी पर राम जन्‍मभूमि का पूजन देखकर भावुक हो रहे थे। देखते ही देखते उनकी यह तस्‍वीर पूरे देश में वायरल हो गई। ट्वि‍टर से लेकर फेसबुक और अन्‍य सोशल मीडिया पर वे छा गए। इस तस्‍वीर में उनका पूरा परिवार हाथ जोड़कर अयोध्‍या में भूमि पूजन का आयोजन देख रहा है।

आइए जानते हैं आखि‍र कौन हैं के परासरण? 
सुप्रीम कोर्ट में राम जन्‍मभूमि‍ का मुकदमा जिताने वाले वरिष्ठ वकील के परासरण का पूरा नाम केशव अय्यंगार परासरण है। उनकी अध्यक्षता में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया गया था। 'श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' ट्रस्ट के कार्यालय का पता ग्रेटर कैलाश स्थित परासरण का दफ्तर ही है। परासरण वही वकील हैं, जो 92 साल की उम्र में भी सुप्रीम कोर्ट में घंटों खड़े रहकर राम मंदिर के लिए बहस करते और दलील देते थे। इसी कारण वे सुर्खियों में आए थे। हालांकि अब उन्‍हें पूरा देश जानने लगा है।

के परासरण कांग्रेस की प्रियंका गांधी के लिए भी केस लड़ चुके हैं। साल 1997 में तीस हजारी कोर्ट में प्रियंका की ओर से उन्होंने केस लड़ा था। तब एक व्यक्ति ने याचिका दायर की थी कि रॉबर्ट वाड्रा से शादी होने से पहले ही प्रियंका की शादी उसके साथ हो चुकी है।

इसके साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने उन्‍हें पद्म भूषण से नवाजा था। जबकि मनमोहन सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण दिया और राज्यसभा के लिए नॉमिनेट भी किया। 2019 में ही उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के द्वारा उन्हें मोस्ट एमिनेंट सीनियर सिटीजन अवॉर्ड दिया गया था। के परासरण 1927 में तमिलनाडु के श्रीरंगम में पैदा हुए थे। उनको वकालत विरासत में मिली। उनके पिता भी वकील थे।

परासरण ने साल 1958 में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी। तब से लेकर अब तक कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन परासरण सबके भरोसेमंद वकील बने रहे। इसीलिए उन्‍हें इंडियन बार का पितामह कहा जाता है। वे हिंदू शास्त्रों के विद्वान हैं और दो बार देश के अटॉर्नी जनरल रह चुके हैं। राम अयोध्‍या  मामले की सुनवाई के दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि अंतिम सांस लेने से पहले वह इस केस में पूरा न्याय चाहते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

3 घंटे के ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने महिला के पेट से निकाला 24 किलो का ट्यूमर