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कैराना में डर के चलते हुआ हिन्दुओं का पलायन

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, शुक्रवार, 23 सितम्बर 2016 (14:23 IST)
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआसी) ने कैराना से हिन्दू परिवारों के पलायन की वास्तविकता उजागर कर दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हिन्दू परिवारों की महिलाओं के साथ दूसरे समुदाय के लोगों द्वारा छेड़छाड़ किए जाने से लोगों ने कस्बा छोड़ दिया। इलाके में मुस्लिमों के डर के चलते पीड़ित परिवार पुलिस में शिकायत भी नहीं करते थे। 
आयोग ने माना स्थानीय पुलिस ने शिकायत किए जाने के बावजूद कोई कार्रवाई की। मुस्लिम गुंडे हिन्दू व्यापारियों से अवैध उगाही की मांग करते थे और न देने पर उनके साथ लूटपाट और मारपीट की जाती थी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एक जांच रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में कैराना से हिन्दू परिवारों का पलायन बिगड़ती कानून व्यवस्था के चलते बताया है। 
 
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के बाद क्षेत्र में कानून व्यवस्था बदतर हो गई थी। लिहाजा, धमकियों और बढ़ते अपराधों को देखते हुए हिन्दू परिवार पलायन को मजबूर हो गए। इसी साल जून में भाजपा सांसद हुकुमसिंह ने ऐसे 346 लोगों की सूची जारी की थी, जिन्होंने ‘एक समुदाय विशेष’ के उगाही करने और सुरक्षा खतरों की वजह से कैराना छोड़ा था। 
 
अब आयोग ने जांच टीम की रिपोर्ट पर यूपी के प्रमुख सचिव, पुलिस महानिदेशक और सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट तलब की है। जांच दल की सिफारिशों और टिप्पणियों पर आयोग ने प्रदेश सरकार समेत अन्य को आठ सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा है। जांच टीम ने इस मामले से संबंधित गवाहों, पीड़ितों, पुलिस अधिकारों के अलावा स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों से भी बातचीत कर रिपोर्ट तैयार की है। 
 
शामली और कैराना के जिलाधिकारी और एसपी भी कई मौकों पर पुलिस फोर्स भी नहीं मुहैया करा सके। इससे दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ा और कमजोर पक्ष पलायन करने पर मजबूर हुआ। समुदाय विशेष को पुलिस का संरक्षण भी प्राप्त था और पुलिस की जान बूझकर की जा रही लापरवाही से अपराधियों के हौसले बुलंद हो गए। लिहाजा खासतौर पर तीन रिहायशी इलाकों में रह रहे 364 परिवारों ने पलायन किया।  
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि पलायन करने वाले कई परिवारों के लोगों ने कैराना छोड़ने का कारण उनके परिवारों को परेशान किया जाना बताया। यह भी पता चला है कि दो प्रमुख व्यवसायियों समेत करीब छह लोगों ने उगाही की धमकियों के मद्देनजर पुलिस सुरक्षा की मांग भी की थी, लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हुआ तब सुप्रीम कोर्ट की एक वकील मोनिका ने मानवाधिकार आयोग में कैराना मामले को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी।  
 
मोनिका ने अपने एनजीओ के जरिए यह शिकायत की थी। इसके बाद आयोग ने इस मामले में एक जांच समिति का गठन किया था। मानवाधिकार आयोग की समिति में एक डिप्टी एसपी और तीन इंस्पेक्टर शामिल थे। जांच समिति ने कैराना के अलावा शामली, पानीपत, मुजफ्फरनगर जाकर अपनी जांच की। साथ ही कैराना से पलायन करने वाले परिवारों से फोन पर भी जानकारी ली थी।
 
भाजपा के सांसद हुकुमसिंह ने सबसे पहले कैराना मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि कैराना में कश्मीर जैसे हालात हो गए हैं। बीते जून महीने में हुकुमसिंह ने कहा था कि कैराना के एक गांव जहानपुरा में पहले 60 से अधिक हिन्दू परिवार थे, लेकिन अब वहां एक भी हिन्दू परिवार नहीं है।
 
हुकुम सिंह ने दावा किया था कि कैराना से पलायन का सिलसिला पिछले कुछ समय से लगातार जारी है। उन्‍होंने भी कैराना से पलायन के पीछे हफ्ता वसूली, रंगदारी, हत्या और महिलाओं से छेड़छाड़ और रेप की घटनाओं को वजह बताया था।

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