उत्तर प्रदेश के 2 बार मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह का शनिवार को लखनऊ में निधन हो गया। कल्याण न सिर्फ यूपी बल्कि भाजपा के दिग्गज राष्ट्रीय नेताओं में शुमार थे। वे राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे। कल्याण सिंह राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेता रहे।
राजनीतिक सफर : कल्याण सिंह के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1967 में हुई, जब वे पहली बार विधायक बने। इसके बाद वे लगातार 1980 तक विधायक रहे। 1991 में भाजपा की जीत के बाद वे पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
जिस समय अयोध्या में विवादित ढांचे का ध्वंस हुआ था, उस समय सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे। इसके बाद उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 1997 में वे एक बार फिर यूपी के मुख्यमंत्री बने। वे इस पद पर 1999 तक रहे।
वैचारिक मतभेद : भाजपा से वैचारिक मतभेद होने के बाद कल्याण ने राष्ट्रीय क्रांति पार्टी के नाम से नया दल भी बनाया। 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी के आग्रह पर वे फिर से भाजपा में शामिल हुए।
2004 के आम चुनाव में सिंह बुलंदशहर लोकसभा सीट से सांसद बने। 2009 में एक बार फिर असंतुष्ट होकर उन्होंने भाजपा छोड़ दी। 2009 के आम चुनाव में कल्याण सिंह एटा से निर्दलीय चुनाव लड़े और जीते भी। 2009 में ही उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया।
2001 में कल्याण फिर भाजपा में आए और 2014 में उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया। जनवरी 2015 से अगस्त 2015 तक उन्होंने हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में भी जिम्मेदारी संभाली।
कल्याण सिंह को बाबरी मस्जिद केस में एक की सजा भी सुनाई गई थी। सिंह को इस मामले में कल्याण सिंह, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी आदि के साथ आरोपी भी बनाया गया था।