कांचीपुरम। कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती को गुरुवार को शंकर मठ परिसर में महासमाधि दी गई।
पार्थिव देह को दफनाने की प्रकिया जिसे 'वृंदावन प्रवेशम' कहा जाता है, अभिषेकम् अथवा स्नान के साथ शुरू हुई। अभिषेकम् के लिए दूध एवं शहद जैसे पदार्थों का इस्तेमाल किया गया।
अभिषेकम की प्रक्रिया श्री विजयेन्द्र सरस्वती तथा परिजन की मौजूदगी में पंडितों के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मठ के मुख्य प्रांगण में हुई। बाद में शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती के पार्थिव शरीर को मुख्य हॉल से निकालकर वृंदावन एनेक्सी ले जाया गया, जहां श्री चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती को समाधि दी गई थी।
बेंत की एक बड़ी टोकरी में शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती के पार्थिव शरीर को बैठी हुई मुद्रा में डालकर 7 फुट लंबे और 7 फुट चौड़े गड्ढे में नीचे उतारा गया। उसके ऊपर शालिग्राम रखा गया। गड्ढे को जड़ी-बूटी, नमक और चंदन की लकड़ी से भर दिया गया। बाद में कबालमोक्षम् किया गया।
तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम, राज्य के शिक्षामंत्री केए सेंगोतैयां एवं अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती को श्रद्धांजलि अर्पित की। (भाषा)