हुब्बल्ली। कर्नाटक के गडग जिले की शिराहत्ती विधानसभा सीट के साथ अनोखा संयोग रहा है कि 1972 से अब तक जिस पार्टी के प्रत्याशी ने इस सीट से चुनाव जीता है राज्य में उसकी पार्टी की ही सरकार बनी है। इसके बारे में वर्ष 1972 के विधान सभा चुनाव में देखा गया कि कांग्रेस के प्रत्याशी के इस सीट से चुनाव जीतने पर राज्य में कांग्रेस के सिर ताज सजा।
यहां तक कि जब जनता दल ने यहां शासन का स्वाद चखा तो भी उस समय भी यहां से जनता दल का ही प्रत्याशी जीतकर विधानसभा में पहुंचा था। वर्ष 2004 में इस राज्य में जब कांग्रेस-जनता दल की गठबंधन सरकार थी, तब भी कांग्रेस ने यहां किला फतह किया था।
वर्ष 1983 में शिराहत्ती सीट से निर्दलीय ने बाजी मारी थी और उसने रामकृष्ण हेगडे सरकार का समर्थन किया था। हालांकि इस बार भविष्यवाणी करना कठिन है कि शिराहत्ती सीट पर किसी पार्टी का उम्मीदवार विजय हासिल करेगा। चुनाव प्रचार का गुरुवार को आखिरी दिन था।
चुनाव प्रचार में मुद्दों से ज्यादा व्यक्तिगत समीकरणों पर सुई टिक गई है। चुनाव मैदान में मुद्दों की जगह निजी स्तर पर आलोचनाओं का रंग हावी है। नेताओं ने व्यक्तिगत व्यंग्य की बौछारें तेज कर दीं और उन्होंने सजे मंचों पर छिछली भाषा के इस्तेमाल में भी कोई हिचक नहीं दिखाई।
यहां तक कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री को कानूनी नोटिस भेज दिया। दरअसल, प्रधानमंत्री ने 'परसेंटेज वाली सरकार' कहकर उनकी खिल्ली उड़ाई थी। हवेरी, गडग और धारवाड़ जिलों में कांग्रेस, भाजपा और जद-सेक्युलर के बीच सीधा मुकाबला दिखता है।
सभी पार्टियां जीत का दावा कर रही हैं। चुनाव में सोशल मीडिया हर तरफ सिर चढ़कर बोल रहा है। यहां तक कि आम आदमी अपनी पसंद के उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने में मशगूल है। इस समय ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्स ऐप पर चटखारेदार और विवादास्पद, दोनों तरह के संदेशों का खूब आदान-प्रदान हो रहा है। (वार्ता)