नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में अशांति और अराजकता के कारणों का खुलासा करने वाली केन्द्रीय गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कश्मीर घाटी के ताजे हालात पर केंद्र ने एक रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि घाटी में मस्जिदों, मदरसों और मीडिया पर नियंत्रण करने की सख्त जरूरत है।
सरकार के शीर्ष जानकार यह मानते हैं कि कुछ कदमों को जल्द से जल्द उठाने की जरूरत है और राजनीतिक स्थिति में बदलाव लाने, खुफिया ढांचे को मजबूत करने और हुर्रियत के नरमपंथी धडे़ से नजदीकी बढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत है।
सूत्रों के अनुसार, इस रिपोर्ट को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को भेजा गया है। इस रिपोर्ट को बनाने से पहले कश्मीर की जमीनी हकीकत की जानकारी ली गई है। इस रिपोर्ट में लंबी अवधि के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में सलाह दी गई है।
गृह मंत्रालय की इस रिपोर्ट में घाटी में तीन दशक से जारी हिंसक प्रदर्शनों और आतंकी घटनाओं के बारे में चर्चा की गई है, लेकिन खास बात यह है कि इसमें पाकिस्तान का जिक्र नहीं किया गया है, लेकिन घाटी के मौजूदा सियासी हालात को बदलने का सुझाव दिया गया है। साथ ही उसमें कहा गया है कि जिन लोगों ने 2014 के चुनावों में हिस्सा लिया था, उनको सरकार की ओर से समर्थन और प्रोत्साहन दिए जाने की जरूरत है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे लोगों के माध्यम से केंद्र की कुछ आर्थिक योजनाओं को घाटी में लागू कराया जा सकता है। इससे उनके क्षेत्र के और लोगों को प्रभावित करने में मदद मिल सकती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को अपने जम्मू और कश्मीर डिविजन को फिर से जीवित करने की जरूरत है क्योंकि यह फिलहाल मृतप्राय है।
रिपोर्ट में अलगाववादियों की भूमिका पर कहा गया है कि उन पर आयकर विभाग और अन्य एजेंसियों के जरिए लगाम कसनी चाहिए, लेकिन इस दौरान अलगाववादियों के नरमपंथी धड़े से बातचीत जारी रहनी चाहिए। इस रिपोर्ट में इस क्षेत्र के आर्थिक विकास और रोजगार उपलब्ध कराने पर भी सुझाव दिए गए हैं। आतंकवादियों से मुकाबले के लिए एक बार फिर स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप को सक्रिय करने की जरुरत बताई गई है।