देहरादून। Kedarnath Helicopter Crash : मंगलवार को केदार घाटी में हेलीकॉप्टर क्रैश का पहला मामला रहा हो ऐसा नहीं है। पिछले 12 सालों में केदारघाटी में 7 हेली क्रैश की घटनाएं सामने आई हैं। इसमें कुल 26 लोगों की मौत हुई। सेना के भी 20 जवान इन घटनाओं में हताहत हुए। एक प्राइवेट हेलीकॉप्टर के पंखे से कटकर 2010 में एक स्थानीय व्यक्ति की मौत हो गई थी।
जून 2013 को 16 और 17 जून को केदारनाथ में मची भारी तबाही के बाद केंद्र ने वायुसेना को रेस्क्यू के लिए भेजा 19 जून 2013 को रेस्क्यू के दौरान जंगल चट्टी में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, लेकिन गनीमत थी कि कोई हताहत नहीं हुआ।
इसी साल 25 जून को सेना का एक एमआई-17 राहत बचाव के दौरान गौरीकुंड और रामबाड़ा के बीच घनी पहाड़ियों में कोहरे और खराब मौसम में क्रैश हो गया।
पायलट, को पायलट समेत 20 जवान इस घटना में हताहत हुए। इसके बाद 28 जून 2013 को केदारनाथ से 2 किलोमीटर दूर गरुड़चट्टी के पास एक प्राइवेट हेलीकॉप्टर क्रैश में पायलट व को-पायलट समेत 3 लोगों की मौत हुई थी।
2016 में भी केदार घाटी में एक हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ। सेना का एमआई-17 बिजली के तार से उलझकर 2018 में केदारघाटी में क्रैश हो गया। इस हादसे में सभी सवार सुरक्षित बच गए थे। यूटी एयर हेली कंपनी का हेलीकॉप्टर टेकऑफ करते हुए 2019 में केदारनाथ में क्रैश हो गया था। इस हादसे में भी सभी यात्री सुरक्षित थे,
लेकिन मजे की बात यह है कि ऐसा सब होने के बावजूद भी हैली सेवाओं की सुरक्षा के लिए जमीन पर फिर भी कुछ होता नजर नहीं आया।
समुद्रतल से 11750 फुट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ में केदार के दर्शन कराने के लिए 18 साल से हेली सेवा संचालित हो रही है, लेकिन, अभी तक व्यवस्थित उड़ान के लिए कहीं भी एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर स्थापित नहीं किया गया है जबकि यह तीनतरफा पहाड़ियों से घिरा हुआ है।
बीते 6 वर्षों में भारतीय सेना का एमआई-26 और चिनूक हेलीकॉप्टर भी यहां लैंड कर चुके हैं। घाटी बहुत ही संकरी है। साथ ही यहां मौसम का मिजाज कब खराब हो जाए, इसका भी अंदाज लगाना मुश्किल है।