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PM मोदी का गीता ज्ञान, जानिए खास बातें

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, मंगलवार, 9 मार्च 2021 (23:30 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि 'कुछ लोग' राजनीतिक स्वार्थ के लिए संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा और उनकी विश्वसनीयता को चोट पहुंचाने की हमेशा कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी प्रवृत्ति देश को बहुत नुकसान पहुंचाती है। हालांकि उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि ऐसे लोग मुख्य धारा का प्रतिनिधित्व नहीं करते। प्रधानमंत्री ने ऐसे लोगों को अपने लोकतांत्रिक कर्तव्यों को भी याद रखने की सलाह दी।
राजधानी के लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री आवास पर आयोजित एक समारोह में भगवद् गीता के श्लोकों पर 21 विद्वानों की व्याख्याओं के साथ पांडुलिपि के 11 खंडों का विमोचन करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने ये बातें कहीं। इस अवसर पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. कर्ण सिंह और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी उपस्थित थे।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का लोकतंत्र विचारों और काम की आजादी देता है और साथ ही जीवन के हर क्षेत्र में समान अधिकार देता है। उन्होंने कहा कि यह आजादी उन लोकतांत्रिक संस्थाओं से मिलती है, जो संविधान की संरक्षक हैं। इसलिए जब भी अपने अधिकारों की बात होती है तो लोगों को अपने लोकतांत्रिक कर्तव्यों को भी याद रखना चाहिए। आज कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इसी कोशिश में रहते हैं कि कैसे संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा, उनकी विश्वसनीयता पर चोट पहुंचाई जाए। हमारी संसद हो, न्यायपालिका हो, यहां तक कि सेना भी। उस पर भी अपने राजनीतिक स्वार्थ में हमले करने की कोशिश होती है और यह प्रवृत्ति देश का बहुत नुकसान करती है।
प्रधानमंत्री ने हालांकि संतोष जताया कि ऐसे लोग देश की मुख्य धारा का प्रतिनिधित्व नहीं करतें। आज एक बार फिर भारत अपने सामर्थ्य को संवार रहा है ताकि वो पूरे विश्व की प्रगति को गति दे सके और मानवता की और ज्यादा सेवा कर सके। कोरोना काल में भारत की ओर से विश्व के देशों के लिए किए गए कार्यों को मानवता की सेवा बताते हुए मोदी ने कहा कि हाल के महीनों में दुनिया ने भारत के जिस योगदान को देखा है, 'आत्मनिर्भर भारत' में वही योगदान और अधिक व्यापक रूप में दुनिया के काम आएगा।
 
इन पांडुलिपियों का प्रकाशन धर्मार्थ न्यास द्वारा किया गया है। डॉ. कर्ण सिंह इसके अध्यक्ष हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक सामान्य तौर पर भगवद् गीता को एकल व्याख्या के साथ प्रस्तुत करने का प्रचलन है। पहली बार प्रसिद्ध भारतीय विद्वानों की प्रमुख व्याख्याओं को भगवद् गीता की व्यापक और तुलनात्मक समझ प्राप्त करने के लिए एकसाथ लाया गया है। धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित पांडुलिपि असाधारण विविधता और भारतीय सुलेख की सूक्ष्मता के साथ तैयार की गई है जिसमें शंकर भाष्य से लेकर भाषानुवाद तक को शामिल किया गया है। (भाषा)

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