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Bihar: बाढ़ से मिलेगी निजात, कोसी मेची अंतरराज्यीय लिंक परियोजना को मिली मंजूरी

इस परियोजना में मौजूदा पूर्वी कोसी मुख्य नहर के पुनर्निर्माण के माध्यम से कोसी नदी के अतिरिक्त जल के एक हिस्से को बिहार में महानंदा बेसिन में सिंचाई के वास्ते पहुंचाने की परिकल्पना की गई है।

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , शुक्रवार, 28 मार्च 2025 (22:14 IST)
Kosi Mechi interstate link project: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को बिहार की कोसी मेची (Kosi Mechi) अंतरराज्यीय लिंक परियोजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (PMKSY-AIBP) के अंतर्गत शामिल करने को मंजूरी दे दी ताकि क्षेत्र में सिंचाई का विस्तार हो और बाढ़ का उपयुक्त प्रबंधन हो। इस परियोजना में मौजूदा पूर्वी कोसी मुख्य नहर के पुनर्निर्माण के माध्यम से कोसी नदी के अतिरिक्त जल के एक हिस्से को बिहार में महानंदा बेसिन में सिंचाई के वास्ते पहुंचाने की परिकल्पना की गई है।
 
इस परियोजना पर 6,282.32 करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान है जिसमें बिहार को 3,652.56 करोड़ रुपए केंद्रीय सहायता के तौर पर मिलेगा। इस परियोजना के पूरा होने की समय सीमा मार्च, 2029 रखी गई है।ALSO READ: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मध्यप्रदेश में भाजपा का भोजपुरी सम्मेलन
 
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद यहां प्रेसवार्ता में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि परियोजना के बारे में नेपाल के साथ चर्चा हुई है और इससे बिहार में बाढ़ प्रबंधन पर बड़ा प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। यह पूछे जाने पर कि क्या बिहार चुनाव से पहले ऐसी और परियोजनाओं की घोषणा की जाएगी, उन्होंने कहा कि निर्णय पूरे देश के लिए, लिए जा रहे हैं।
 
कोसी नदी के अतिरिक्त पानी को बिहार में महानंदा बेसिन की ओर ले जाएंगे : कोसी मेची अंतरराज्यीय लिंक परियोजना का उद्देश्य कोसी नदी के अतिरिक्त पानी को बिहार में महानंदा बेसिन की ओर ले जाना है। यह पूर्वी कोसी मुख्य नहर (ईकेएमसी) के 41.30 किलोमीटर तक पुनर्निर्माण और 117.50 किलोमीटर पर मेची नदी तक इसके विस्तार के माध्यम से हासिल किया जाएगा।
 
इस परियोजना का उद्देश्य खरीफ सीजन के दौरान अररिया, पूर्णिया, किशनगंज और कटिहार जिलों में 2,10,516 हैक्टेयर कृषि भूमि को अतिरिक्त सिंचाई सुविधा प्रदान करना है। इससे वर्तमान ईकेएमसी प्रणाली द्वारा सिंचित 1.57 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में जल आपूर्ति में कमी की भी भरपाई हो जाएगी। मानसून के दौरान कोसी से लगभग 205 करोड़ घन मीटर अधिशेष पानी महानंदा कमांड क्षेत्र में भेजा जाएगा। यह परियोजना व्यापक पीएमकेएसवाई-एआईबीपी पहल का हिस्सा है जिसे सिंचिंत क्षेत्र के विस्तार और जल संरक्षण प्रयासों में सुधार के लिए 2015-16 में शुरू किया गया था।ALSO READ: बिहार दिवस पर क्या बोले पीएम मोदी?
 
22,919 करोड़ रुपए की इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जा विनिर्माण योजना को मंजूरी : सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जा विनिर्माण में भारत को आत्मनिर्भर बनाने, इस क्षेत्र में बड़े निवेश को आकर्षित करने और रोजगार सृजित करने के लिए शुक्रवार को 22,919 करोड़ रुपए की योजना को मंजूरी दी। यह देश में पहली ऐसी योजना है, जो निष्क्रिय इलेक्ट्रॉनिक घटकों के विनिर्माण को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
 
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जा विनिर्माण परिवेश में बड़े पैमाने पर वैश्विक एवं घरेलू निवेश को आकर्षित करके एक मजबूत आपूर्ति शृंखला का विकास करने के मकसद से 'इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जा विनिर्माण योजना' को मंजूरी दी। इस पहल से क्षमता एवं योग्यता विकसित कर और भारतीय कंपनियों को वैश्विक मूल्य शृंखलाओं (जीवीसी) के साथ एकीकृत करके घरेलू मूल्यवर्धन (डीवीए) में भी वृद्धि होने की उम्मीद है।
 
इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का घरेलू उत्पादन वित्त वर्ष 2014-15 के 1.90 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 9.52 लाख करोड़ रुपए हो गया है। यह सालाना 17 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर को दर्शाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक में लिए गए इस फैसले की जानकारी इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी।
 
वैष्णव ने संवाददाताओं से कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स कलपुर्जा विनिर्माण योजना के तहत निष्क्रिय घटकों को मंजूरी दी गई है। इसका कुल पैकेज 22,919 करोड़ रुपए का है। यह 6 साल में पूरी होगी। उन्होंने कहा कि इस योजना से 91,600 लोगों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार पैदा होगा और लगभग 59,350 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित होगा।
 
वैष्णव ने कहा कि यह खंड दूरसंचार, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन, चिकित्सा उपकरण, बिजली क्षेत्र जैसे कई क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस योजना से 4.56 लाख करोड़ रुपए का उत्पादन होने की उम्मीद है। इस बीच एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण योजना भारतीय विनिर्माताओं को विभिन्न श्रेणियों एवं खंडों के कलपुर्जों से जुड़ी विशिष्ट खामियों को दूर करने के लिए अलग-अलग प्रोत्साहन देती है।
 
इसके लक्षित खंडों में डिस्प्ले मॉड्यूल एवं कैमरा मॉड्यूल और मल्टी-लेयर प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी), लिथियम-ऑयन बैटरी और मोबाइल, आईटी हार्डवेयर उत्पादों एवं संबंधित उपकरणों के संलग्नक शामिल हैं। उन्हें कारोबार से जुड़ी प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। प्रोत्साहन के एक हिस्से का भुगतान रोजगार लक्ष्य प्राप्ति से भी जुड़ा हुआ है। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में उपयोग किए जाने वाले घटकों और पूंजीगत वस्तुओं को पूंजीगत व्यय प्रोत्साह मिलेगा। इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का निर्यात वित्त वर्ष 2014-15 के 0.38 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 2.41 लाख करोड़ रुपए हो गया जो सालाना 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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