दिल्ली के मुंगेशपुर में तापमान 52.3 डिग्री होने की खबरों के बीच भयानक गर्मी से हीटस्ट्रोक के कारण आज पहली मौत दर्ज की गई। खबरों के मुताबिक 40 साल के एक व्यक्ति ने राम मनोहर लोहिया अस्पताल में दम तोड़ दिया। उसे सोमवार (27 मई) की रात भर्ती कराया गया था। डॉक्टर ने बताया कि वह बिना कूलर या पंखे वाले कमरे में रह रहा था और उसे तेज बुखार था।
दिल्ली में 29 मई को अलग-अलग जगहों पर तापमान 45.2 डिग्री से 49.1 डिग्री के बीच रहा। इस बीच मौसम विभाग (IMD) ने जानकारी दी थी कि दिल्ली के मुंगेशपुर में तापमान 52.3 डिग्री पहुंच गया है। हालांकि, रात में कहा गया कि 52.3 डिग्री का डेटा गलत था।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली समेत देश के 11 शहरों में 29 मई को अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस या उससे ऊपर दर्ज किया गया। हरियाणा के रोहतक में सबसे ज्यादा 48.8 डिग्री तापमान दर्ज हुआ। दिल्ली के रिज में 47.3 डिग्री तापमान रहा।
कितने तापमान पर होती है गर्मी से मौत? एक्सपर्ट के अनुसार तापमान 40 डिग्री से ऊपर जाते ही खतरा बन जाता है। यह माना जाता है कि 49-50 डिग्री के तापमान में बाहर निकलना मौत को दावत देने जैसा है क्योंकि इतने तापमान में अमेरिका और कनाडा जैसी जगहों पर लोग मरते देखे गए हैं। इस तापमान में शरीर इतना ज्यादा पसीना निकालने लगता है कि खुद शरीर ही इसको नहीं झेल पाता है। शरीर में डिहाड्रेशन की जानलेवा स्थिति बन जाती है।
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सामान्यत: मानव शरीर का तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है यानी 37 डिग्री सेल्सियस के बराबर। आमतौर पर यह माना जाता है कि मनुष्य 108.14 डिग्री फारेनहाइट यानी 42.3 डिग्री सेल्सियस तापमान में अधिक देर तक रहने के बाद भी जीवित रह सकता है बशर्ते की वह पानी पीता रहे। इससे ज्यादा के तापमान में रहना मुश्किल होता जाता है।
ज्यादा गर्मी में क्यों खराब होते हैं अंग?
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तेज गर्मी के कारण तेजी से पसीना निकलता है और रक्त प्रवाह को बनाए रखने और शरीर को ठंडा रखने के लिए हृदय गति तेजी से बढ़ जाती है
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निर्जलीकरण और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन के कारण मांसपेशियों में ऐंठन होने लगती है।
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तेज गर्मी के कारण त्वचा पर चकत्ते बनने लगते हैं और अंदर का खून बाहर आने लगता है। त्वचा के पास की रक्त कोशिकाएं फटने की संभावना बढ़ जाती है।
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निर्जलीकरण और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन के कारण मतली, चक्कर, उल्टी-दस्त, सिरदर्द और बेहोशी छाने होने लगती है।
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शरीर अत्यधिक गर्मी से छुटकारा पाने की क्षमता खो सकता है और सभी अंग धीरे धीरे काम करना बंद करने लगते हैं।
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हीट स्ट्रोक बनता है मल्टीपल ऑर्गन फेलियर का कारण।
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ओवरआल अधिक तापमान में लंबे समय तक रहने से हीटस्ट्रोक और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है।
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गर्मी के मौसम में डिहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी व सॉल्ट की कमी के चलते ही कई समस्याएं पैदा होती हैं।
गर्मियों में इन बीमारियों का खतरा सबसे ज्यादा : गर्मी का मौसम आते ही हमें जहां एक तरफ गर्मी से राहत पाने के लिए तरह-तरह के उपाय करने पड़ते हैं, वहीं दूसरी तरफ कई तरह की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। गर्मियों में शरीर का तापमान बढ़ जाता है, जिससे डिहाइड्रेशन, हीट स्ट्रोक, फूड पॉइजनिंग, टाइफाइड, मलेरिया, डेंगू और कई तरह की संक्रामक बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।
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गर्मी से बचने के उपाय :
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इस मौसम में तेज लपट और झुलसा देने वाली गर्म हवा चलती है। इससे बचने के लिए जब भी हम घर से बाहर निकलें तो एक गिलास ठंडा पानी पीकर ही निकलें। चलते समय एक प्याज भी जेब में रख लें तो लू लगने से बचा जा सकता है।
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दिन भर में कम से कम 10 से 15 गिलास पानी अवश्य पिएं। पानी पीने में कोताही नहीं बरतें, क्योंकि इस मौसम में हमारे शरीर का पानी पसीने के जरिए बह जाता है। शरीर में पानी की कमी न होने पाए इसलिए पानी का अत्यधिक उपयोग जरूरी है।
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इस ऋतु में हमारी पाचन शक्ति अक्सर कमजोर हो जाती है। पाचन शक्ति ठीक से कार्य करे, इसके लिए तेज मिर्च-मसालेदार, तले हुए एवं गरिष्ठ भोजन से जहां तक हो सके परहेज करें। भूख से दो रोटी कम सेवन करें एवं पानी का उपयोग ज्यादा करें।
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तेज धूप से बचाव करके ही घर से निकलें। विशेषकर सिर एवं त्वचा को किसी भी तरह से बचाएं। इसके लिए टोपी, स्कॉर्फ या ग्लव्स या गमछे का प्रयोग करें।
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सूर्य की तेज धूप से आंखों को बचाने के लिए गहरे रंग के या सनग्लास चश्मों का प्रयोग हितकर होगा। अच्छी किस्म का सनस्क्रीन लोशन भी अवश्य प्रयोग में लाएं।
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प्रातः जल्दी उठकर ताजी वायु का सेवन अवश्य करें।
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गर्मी के मौसम में सूती वस्त्र ही पहनें, क्योंकि सूती वस्त्र पसीना सोखने में कारगर होते हैं। जहां तक हो सके, ठंडे पानी से ही स्नान करें।
Edited by : Nrapendra Gupta