नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने रविवार को यहां कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। लालू-नीतीश की सोनिया से मुलाकात को 2024 के आम चुनावों में भाजपा का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। मुलाकात के बाद नेताओं ने कहा कि बीजेपी को हटाने के लिए सभी साथ आएंगे।
गांधी के 10 जनपथ आवास पर बैठक को विपक्षी दलों के बीच एकता बनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि कांग्रेस और कुछ क्षेत्रीय दलों के बीच मतभेदों को सुलझाने के प्रयास जारी हैं जिनका पारंपरिक रूप से टकराव रहा है। अगस्त में बिहार में सरकार बनाने के लिए भाजपा से नाता तोड़ने और राजद और कांग्रेस से हाथ मिलाने के बाद से कुमार की सोनिया गांधी से यह पहली मुलाकात है।
जनता दल-यू नेता तथा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि हम दोनों ने मिलकर मैडम से बातचीत की है। हम सबको मिलकर के देश के लिए एकजुट होकर काम करना है। भाजपा को हटाना है और देश को बचाना है। देश में तानाशाही बढ़ रही है।
यह पूर्व निर्धारित मुलाकात थी जिसको लेकर राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू यादव ने पहले ही पटना में कह दिया था कि वे और कुमार श्रीमती गांधी से मुलाकात करेंगे। दोनों नेता आम चुनाव के लिए विपक्ष को सभी दलों को एक मंच पर लाकर एकजुट करने के प्रयास में जुटे हुए हैं।
इससे पहले, कुमार ने कांग्रेस और वामपंथी दलों सहित सभी विपक्षी दलों को भाजपा से मुकाबला करने के लिए एकजुट करने का आह्वान किया और कहा कि यह विपक्ष का मुख्य मोर्चा सुनिश्चित करेगा कि भाजपा 2024 के लोकसभा चुनावों में बुरी तरह हार जाए।
कुमार ने हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) की ओर से पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल की जयंती के मौके पर आयोजित एक रैली में कहा कि अगर सभी गैर-भाजपा दल एकजुट हों तो देश को तबाह करने वालों से छुटकारा मिल सकता है।
इनेलो नेता ओम प्रकाश चौटाला, शिरोमणि अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल, जिनका कांग्रेस के साथ टकराव का लंबा इतिहास रहा है, दोनों नेता राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के शरद पवार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी और शिवसेना के अरविंद सावंत जैसे अन्य नेता वरिष्ठ नेताओं के साथ मंच पर थे।
बिहार के उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव भी मंच पर थे, जिसे गैर-भाजपा दलों के बीच एकता की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि कांग्रेस की ओर से कोई भी रैली में शामिल नहीं हुआ।