Largest Statue of Lord Vishnu reaches at Rajwada Indore: महाराष्ट्र के शाहदा में बन रहे भगवान विष्णु के भव्य मंदिर के लिए एक अद्वितीय और दिव्य प्रतिमा तैयार की गई है। यह प्रतिमा अपनी विशालता और पंचधातु से निर्मित होने के कारण विशेष है। भगवान विष्णु की शेषशायी प्रतिमा को मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुशल कारीगरों द्वारा किया गया है। प्रतिमा को तैयार करने में लगभग साढ़े चार साल का समय लगा है। प्रतिमा की कुल लागत लगभग 24 करोड़ रुपये आंकी गई है। गुरुवार को यह प्रतिमा इंदौर के राजवाड़ा पर दर्शन के लिए रखी गई। बताया जा रहा है कि भगवान विष्णु की पंच धातु से निर्मित यह विश्व की पहली विशाल प्रतिमा होगी। शाहदा में भगवान विष्णु की इस पंच धातु से बनी विशाल मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इस मूर्ति को आज इंदौर से शाहदा के लिए रवाना किया जाएगा। आइये जानते हैं क्या खासियत है इस प्रतिमा की।
प्रतिमा की विशेषताएं:
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विशाल आकार: 21 टन वजन और 11 फीट ऊंचाई वाली यह प्रतिमा वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है।
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पंचधातु निर्माण: सोना, चांदी, तांबा, लोहा और पारद जैसे पांच धातुओं के मिश्रण से निर्मित यह प्रतिमा धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ मानी जाती है।
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विस्तृत शिल्पकला: प्रतिमा में भगवान विष्णु के साथ-साथ ब्रह्मा, महेश, लक्ष्मी, गरुड़ और अन्य देवताओं को अत्यंत बारीकी से उकेरा गया है।
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धार्मिक महत्व: पंचधातु की प्रतिमाओं का धार्मिक ग्रंथों में विशेष महत्व बताया गया है। माना जाता है कि इनकी पूजा करने से भक्तों को असीमित फल की प्राप्ति होती है।
प्रतिमा का निर्माण और धार्मिक महत्व:
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मिट्टी की प्रतिमा की पूजा करने से एक गुना, कांस्य की प्रतिमा की पूजा करने से दस गुना और पाषाण की प्रतिमा की पूजा करने से सौ गुना फल मिलता है। लेकिन, धातु की प्रतिमा, विशेषकर पंचधातु की प्रतिमा की पूजा करने से अनंत गुना फल मिलता है। कलयुग में समय की कमी को देखते हुए, भक्तों के लिए पंचधातु की प्रतिमा की पूजा एक आसान और प्रभावी विकल्प है। शाहदा में स्थापित होने वाली यह भगवान विष्णु की प्रतिमा न केवल एक कलाकृति है, बल्कि धार्मिक आस्था का भी प्रतीक है। यह प्रतिमा विश्व भर के भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगी और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगी।