lieutenant Shashank Tiwari martyred: अयोध्या के रहने वाले 23 वर्षीय लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए उत्तरी सिक्किम में पहाड़ी नदी में बहे एक सहयोगी सैनिक को बचाने के प्रयास में अपनी जान गंवा दी। माता-पिता के इकलौते बेटे शशांक ने अपने साथी को तो बचा लिया, लेकिन खुद को नहीं बचा सके। लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी सिक्किम स्काउट्स से जुड़े थे। यह घटना 22 मई को हुई।
पहली पोस्टिंग सिक्किम में : लेफ्टिनेट शशांक का वर्ष 2019 मे NDA में चयन हुआ था। विगत वर्ष ही शशांक को कमीशन मिला और उनकी पहली पोस्टिंग सिक्किम में हुई थी। शहीद शशांक का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। शशांक के परिवार में उनके पिता जंग बहादुर तिवारी, माता नीता तिवारी और एक बड़ी बहन हैं। पिता नेवी मे कार्यरत है। मां अयोध्या स्थित गड्डोपुर आवास पर ही रहती हैं।
पूर्वी कमान ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा- भारतीय सेना की पूर्वी कमान के लेफ्टिनेंट जनरल आरसी तिवारी, सेना के कमांडर-इन-चीफ और सभी रैंक के अधिकारी लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हैं, जिन्होंने उत्तरी सिक्किम में एक परिचालन गश्त के दौरान नदी में बहे एक साथी सैनिक को बचाते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। भारतीय सेना पूरी तरह शोक संतप्त परिवार के साथ खड़ी है।
साथी को बचाया, लेकिन... : एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वह सिक्किम में एक सामरिक परिचालन बेस (टीओबी) की ओर रूट ओपनिंग गश्ती दल का नेतृत्व कर रहे थे। यह एक महत्वपूर्ण चौकी है, जिसे भविष्य में तैनाती के लिए तैयार किया जा रहा है। गश्ती दल के सदस्य अग्निवीर स्टीफन सुब्बा का पुल पार करते समय पैर फिसल गया और वह एक तेज पहाड़ी जलधारा में बह गए। वे डूबते हुए अग्निवीर को बचाने में सफल रहे, लेकिन लेफ्टिनेंट तिवारी तेज बहाव में बह गए। गश्ती दल द्वारा अथक प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनका शव 800 मीटर नीचे की ओर बरामद किया गया।
क्या मुख्यमंत्री योगी ने : अयोध्या पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अयोध्या का लाल भारत के पूर्वोत्तर में सीमा की सुरक्षा करते हुए शहीद हुआ। मैं शहीद लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी को नमन करता हूं। हमारी सरकार ने तय किया है शहीद के परिजनों को 50 लाख की सहायता और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देंगे साथ ही। साथ ही शशांक की स्मृति को बनाए रखने के लिए एक स्मारक भी बनाया जाएग।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala