श्रीनगर। भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर आए 24 देशों के राजनयिकों को बताया कि नियंत्रण रेखा (LoC) पर कड़ी निगरानी के कारण आतंकवादी संगठन और पाकिस्तानी प्रतिष्ठान जम्मू क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर मौसमी नदियों के नीचे सुरंग बनाकर आतंकवादियों की भारत में घुसपैठ कराने का प्रयास कर रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर का वर्ष 2019 में विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद वहां के हालात का जायजा लेने के लिए यूरोपीय संघ और इस्लामिक सहयोग संगठन के सदस्य देशों के राजनयिक दो दिवसीय दौरे पर बुधवार को केंद्र शासित प्रदेश पहुंचे।
सेना के वरिष्ठ अधिकरियों ने राजनयिकों के इस दल को सीमा पार से होने वाली घुसपैठ, हथियारों की आपूर्ति में पाकिस्तानी सेना की भूमिका और पड़ोसी मुल्क द्वारा बिना उकसावे के संघर्षविराम उल्लंघन करने के बारे में विस्तृत ब्योरा दिया। कश्मीर घाटी की सुरक्षा में तैनात सेना की 15वीं कोर के मुख्यालय में अधिकारियों ने राजनयिकों को पूरी जानकारी दी।
अधिकारियों ने कहा कि नियंत्रण रेखा (LoC) पर सेना ने आतंकवाद रोधी ग्रिड में जब से रणनीति बदली है तब से पाकिस्तानी प्रतिष्ठान प्राकृतिक गुफाओं और कई बार जम्मू क्षेत्र के सांबा सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर मौसमी नदियों के नीचे सुरंग खोद करके भारत के अंदर आतंकवादियों को प्रविष्ट करा रहे हैं।
उन्होंने पाकिस्तान के आतकंवादी समूहों द्वारा घुसपैठ के लिए अपनाई जा रही तकनीकों को रेखांकित करते हुए कहा कि सरहद पार के प्रतिष्ठान केन्द्रशासित क्षेत्र में आंतक फैलाने के लिए आतंकवादियों को हर प्रकार की सहायता दे रहे हैं।
इस दौरान उन्हें यह भी बताया गया कि पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर 2019 में घातक हमले को अंजाम देने वाले आतंकवादी भी जम्मू क्षेत्र में एक सुरंग से घुसे थे।
अधिकारियों ने राजनयिकों को बताया कि एलओसी पर घुसपैठ की तमाम कोशिशें नाकाम करने के बाद भी पाकिस्तानी सेना सरहद पार आतंकवादी कैंप चलाती है और कश्मीर घाटी में आतंकवादियों को घुसाने के लिए संघर्षविराम समझौते का उल्लंघन करती है।
अधिकारियों ने राजनयिकों को वे हथियार भी दिखाए जो आतंकवादियों से जब्त किए गए और उनमें पाकिस्तान की शस्त्र फैक्टरी का निशान भी बना था।
कश्मीर घाटी में हालात पर सेना के अधिकारियों ने बुधवार शाम की घटना का जिक्र किया जहां शहर के एक उच्च सुरक्षा वाले इलाके में एक प्रमुख भोजनालय के मालिक के बेटे को आतंकवादियों ने गोली मार कर गंभीर रूप से घायल कर दिया।
उन्होंने कहा कि यह कश्मीर में उदारवादी आवाजों, या अपनी बात नहीं मानने वालों की आवाज बंद करने की आतंकवादियों की योजना का एक हिस्सा है। सेना ने बताया कि कैसे युवाओं को गुमराह करने के लिए पाकिस्तानी प्रतिष्ठान इंटरनेट-युद्ध चला रहे हैं।
राज्य का दर्जा समाप्त किए जाने के बाद के हालात पर सेना के अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा बलों की कार्रवाई में किसी की जान नहीं गई है। सेना के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि कानून और व्यवस्था से जुड़ी समस्याएं कम हुईं हैं और पथराव की घटनाओं में भी तेजी से कमी आई है। साथ ही उन्होंने हाल ही में हुए जिला विकास परिषद चुनाव के बारे में भी राजनयिकों को जानकारी दी। (भाषा)