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केन्द्र की हरी झंडी! अब कारगिल जैसे युद्ध होंगे...

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सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर। एलओसी पर एक पखवाड़े में पाक सेना के खिलाफ की गई दो कार्रवाइयों के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि चाहे भारत पाकिस्तान पर हमला नहीं करे, लेकिन इतना अब सुनिश्चित हो गया है कि सीमाओं पर कारगिल सरीखे लघु युद्ध हो सकते हैं। ऐसा होने की संभावना इसलिए व्यक्त की जाने लगी है क्योंकि केंद्र की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद भारतीय सेना उस पार से होने वाले हमलों का जवाब देने की तैयारी में है।
 
रक्षाधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि केंद्र की ओर से इस संबंध में हरी झंडी मिल चुकी है। आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि भारतीय सेना जवाबी कार्रवाई करने की तैयारी में जुटी है। हालांकि सेना की नार्दन कमान में तैनात कई अफसर भी इस प्रकार के संकेत दे रहे हैं। जबकि सीमांत मोर्चों से मिलने वाली जानकारियों के मुताबिक, भारतीय सेना पाकिस्तान को सजा देने के लिए कई विकल्पों की तैयारियों में जुटी हुई है। सबका मकसद पाकिस्तान को सजा देना है और वह इस सजा के परिणाम में पारंपारिक युद्ध छिड़ जाने की संभावनाओं के तहत युद्ध से निपटने की तैयारी में भी जुटी है। बताया जाता है कि फिलहाल प्रथम चरण में एलओसी के पार हमले करने की योजना को अंतिम रूप दिया गया है।
 
अतिविशिष्ट रक्षा सूत्रों के मुताबिक, जवाबी हमला करने के लिए की गई कार्रवाइयों के अतिरिक्त कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। अधिकृत सूत्रों के अनुसार, राजनीतिक तथा कूटनीतिक मोर्चों के अतिरिक्त सैनिक मोर्चों पर भी पाकिस्तान को उसकी छिटपुट कार्रवाइयों का जवाब देने की तैयारी जारी है। सूत्रों के अनुसार, सैनिक मोर्चों पर जो भी सुझाव जवाब देने के लिए सुझाए जा रहे हैं उनका परिणाम अंत में भरपूर युद्ध के रूप में ही निकलता है।
 
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकवाद के प्रशिक्षण केंद्रों तथा तबाही मचाने वाली पाकिस्तानी सीमा चौकियों को नष्ट करने के लिए सुझाए गए चार विकल्पों में से एक विकल्प जमीन से जमीन पर मार करने वाले पृथ्वी मिसाइलों के इस्तेमाल का भी है जो पूरी तरह से अमेरिका की तर्ज पर करने की बात कही जा रही है।
 
हालांकि तीन प्रकार के अन्य विकल्प भी सुझाए जा रहे हैं। इनमें एक भारतीय सेना को खूली छूट देने का है अर्थात भारतीय सेना एलओसी को पार कर 24 घंटों के भीतर आतंकी प्रशिक्षण केंद्रों को नष्ट कर वापस लौटे। यह कमांडो कार्रवाई होगी। ऐसी कार्रवाई पिछले साल 29 सितंबर को एक बार की भी जा चुकी है।
 
इसी के साथ ही सेना को बोफोर्स तोपों का खुलकर इस्तेमाल करने की इजाजत देने का विकल्प भी है, जिसके अंतर्गत एलओसी से 18 से 20 किमी की दूरी पर स्थित कुछ प्रशिक्षण केंद्रों पर मोर्टार, बोफोर्स तोपों से हमला किया जाए। बोफोर्स तोप पहाड़ों में 28 से 30 किमी की दूरी तक मार कर सकती हैं। एलओसी पर बोफोर्स तोपों की तैनाती फिर से हो चुकी है।
 
सैनिक सूत्रों के अनुसार, इनके अतिरिक्त भारतीय वायुसेना का इस्तेमाल कर प्रशिक्षण केन्द्रों को उड़ाने का विकल्प भी सैनिक कार्रवाई के तहत खुला है। सूत्रों के अनुसार, प्रशिक्षण केंद्रों पर हवाई हमले किए जाने का जो विकल्प दिया गया है। इसके अंतर्गत यह कहा जा रहा है कि मिराज-2000 तथा सुखोई विमानों का इस्तेमाल किया जाए जो अचूक निशाना साधने तथा गहराई तक हमला करने में सक्षम माने जाते हैं। हवाई हमलों की आशंका अधिक इसलिए भी जताई जा रही है क्योंकि वायुसेना प्रमुख इस बाबत वायुसेनाधिकारियों को लघु युद्धों के लिए तैयारी रखने को पत्र भी लिख चुके हैं।

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